सोमवार, 23 दिसंबर 2024

बाल झड़ने के प्रमुख कारण इलाज

*◆बालों के झड़ने का  इलाज◆*

 

बाल झड़ने के प्रमुख कारण  इलाज
बाल झड़ने के प्रमुख कारण  इलाज

बाल झड़ने का कारण कई शारीरिक, मानसिक और पर्यावरणीय कारकों का परिणाम हो सकता है। इसे नियंत्रित करने और बालों को स्वस्थ बनाए रखने के लिए आयुर्वेदिक, होम्योपैथिक उपायों और टॉनिक/तेल का उपयोग किया जा सकता है।


बाल झड़ने के प्रमुख कारण

  1. हार्मोनल असंतुलन:

    • महिलाओं में मेनोपॉज या थायराइड की समस्या।
    • पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन का असंतुलन।
  2. आहार की कमी:

    • विटामिन D, B12, और प्रोटीन की कमी।
    • आयरन की कमी (एनीमिया)।
  3. तनाव और मानसिक दबाव:

    • लंबे समय तक तनाव रहना।
    • नींद की कमी।
  4. स्कैल्प संक्रमण और डैंड्रफ:

    • फंगल संक्रमण।
    • स्कैल्प की सफाई न होना।
  5. अन्य कारण:

    • हार्ड वॉटर का उपयोग।
    • जेनेटिक प्रवृत्ति।
    • अधिक हीटिंग टूल्स और केमिकल युक्त प्रोडक्ट्स का उपयोग।

आयुर्वेदिक उपाय और तेल

  1. आयुर्वेदिक तेल:

    • भृंगराज तेल: बालों के झड़ने को रोकने और उन्हें घना करने में मदद करता है।
    • आंवला तेल: बालों को पोषण देता है और उन्हें मजबूत बनाता है।
    • नीम तेल: डैंड्रफ और संक्रमण को रोकता है।
    • ब्राह्मी तेल: बालों की जड़ों को मजबूत करता है और तनाव कम करता है।
  2. घरेलू नुस्खे:

    • आंवला और रीठा: आंवला पाउडर और रीठा को पानी में उबालकर शैंपू के रूप में उपयोग करें।
    • मेथी का पेस्ट: मेथी के बीज को भिगोकर पेस्ट बनाएं और स्कैल्प पर लगाएं।
    • एलोवेरा जेल: स्कैल्प पर नियमित रूप से लगाने से डैंड्रफ और सूजन कम होती है।
  3. आहार सुधार:

    • ताजे फल, सब्जियां, और नट्स जैसे बादाम और अखरोट खाएं।
    • आयरन और प्रोटीन युक्त आहार लें, जैसे पालक, दालें, और अंडे।

होम्योपैथिक टॉनिक और उपचार

  1. टॉनिक और मेडिसिन:

    • Kalium Phosphoricum: तनाव और मानसिक दबाव से जुड़े बाल झड़ने के लिए।
    • Silicea: कमजोर और पतले बालों के लिए।
    • Natrum Muriaticum: बालों की जड़ों को मजबूत बनाने के लिए।
    • Phosphorus: बालों के अत्यधिक झड़ने के लिए।
    • Lycopodium: समय से पहले बाल सफेद होने और झड़ने के लिए।
    • नोट:- चिकित्सक के पारामर्श से ही लें।
  2. होम्योपैथिक तेल और क्रीम:

    • Arnica Hair Oil: बालों की ग्रोथ को बढ़ावा देता है।
    • Jaborandi Hair Oil: बालों की जड़ों को पोषण देता है और बालों को झड़ने से रोकता है।

सामान्य सुझाव

  1. स्कैल्प को सप्ताह में दो बार हल्के गर्म तेल से मालिश करें।
  2. हार्ड वॉटर से बचें; पानी को फिल्टर करके इस्तेमाल करें।
  3. तनाव को कम करने के लिए नियमित ध्यान और योग करें।
  4. कम से कम केमिकल युक्त शैंपू और हेयर प्रोडक्ट्स का उपयोग करें।

इन उपायों और चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से बालों के झड़ने को नियंत्रित किया जा सकता है। लंबे समय तक बेहतर परिणाम के लिए इनका नियमित पालन करें।

             *बाल झड़ना【Hair Fall】* 

सामान्यतः प्रतिदिन हमारे लगभग 50 से 100 बाल हर दिन टूटते-झड़ते हैं। यदि इससे ज्यादा बाल झड़ते (Hair Fall) हैं, तो यह चिंता का विषय है। बाल झड़ने के पीछे तनाव, इन्फेक्शन, हार्मोन्स का असंतुलन, पोषक पदार्थों की कमी, दवाओं के साइड इफेक्ट्स, लापरवाही बरतना या बालों की सही देखभाल न करना, घटिया साबुन और शैंपू का प्रयोग आदि कई कारण हो सकते हैं।

              *बाल झड़ने का कारण* 

चिकित्सा विज्ञान के आधार पर बालों के झड़ने की कई वजहें होती हैं। जिनमें से कुछ खास कारण निम्न हैं: 


▪लंबी बीमारी, बड़े ऑपरेशन या किसी गभीर संक्रमण के कारण बालों का झड़ना सामान्य माना जाता है।


▪शारीरिक, मानसिक तनाव या डिप्रेशन की बीमारी के दो या तीन महीने के बाद बालों का झड़ना एक सामान्य प्रक्रिया है।


▪हार्मोन स्तर में आकस्मिक बदलाव के बाद भी यह हो सकता है, विशेषकर स्त्रियों में बच्चें के जन्म के बाद यह हो सकता है।


▪अत्यधिक द्वाईंयों के सेवन से या किसी एलर्जी के कारण भी कई बार बाल झड़ते हैं। 


▪बालों का झड़ना कई बीमारियों का लक्षण भी माना जाता है विशेषकर थाइरॉयड में यह महत्वपूर्ण निशानी माना जाता है। 


▪सेक्स हार्मोन में असंतुलन के कारण भी बाल झड़ते हैं। 


▪आहार में सतुंलन के कारण भी कई बार बाल झड़ते हैं विशेषकर अगर खाने में आप प्रोटीन, लौह तत्व या जस्ता आदि की कमी हो तो। यह कमी खान-पान में परहेज करने वालों और जिन महिलाओं को मासिक धर्म में बहुत ज्यादा रक्त स्राव होता है, में आम है।


▪पुरुषों में अक्सर मांग से बालों का झड़ते हैं या फिर सिर के ऊपर से। पुरुषों में इस प्रकार बालों का झड़ना आम है और यह किसी भी समय यहां तक कि किशोरावस्था में भी आरंभ हो सकता है।


▪वंशानुगत गंजापन:​ अगर पेरेंट्स या ग्रैंड पेरेट्स में से किसी को बालों के झड़ने या गंजेपन की समस्या है, तो बच्चों में भी ऐसा होने की आशंका ज्यादा होगी।


▪बढ़ती हुई आयु में भी बालों का झड़ना आम बात होती है। 


▪इंफेक्शन और डैंड्रफ फंगल इंफेक्शन से बाल झड़ सकते हैं। 


▪प्रदूषण और तनाव, बालों को गंवाने की अहम वजह है।


▪मानसून सीज़न में अकसर बाल झड़ने की समस्या आ जाती है। 


▪अनियमित जीवनशैली और सौंदर्य प्रसाधनों का अनुचित इस्तेमाल करना भी बाल झडने की समस्या को न्यौता देते हैं।

           *बालों का झड़ना के लक्षण* 

▪कंघी करते हैं और बालों का गुच्छा आपके हाथों में होता है
▪बाल आपके कपड़ों के साथ भी चिपके होते हैं
▪बालों में हाथ डालते हैं, तो आपके बाल हाथ में आ जाते हैं

                   *सामान्य उपचार* 

▪बालों को झड़ने से रोकने के लिए स्वस्थ जीवनशैली अपनायें।
▪तनाव कम कर, उचित आहार लेकर भी झड़ते बालों से निजात पाया जा सकता है।
▪किसी भी प्रकार के संक्रमण से बचने के लिए बालों की सफाई पर ध्यान देना चाहिए। झड़ते बालों की समस्या से रहने के लिए दूसरों के ब्रश, कंघी, टोपी आदि का उपयोग नहीं करना चाहिए।
▪कई बार दवाइयों की सहायता से वंशानुगत गंजेपन के कुछ मामलों को भी रोका जा सकता है। ऐसी दवाइयां डॉक्टर की सलाह से ही लें

                      *घरेलु उपचार* 

*शहद और अंडा*
शहद से बालों की जड़ों को उचित पोषण मिलता है। अगर शहद के साथ अंडे की जर्दी मिला दे तो इसका असर दोगुना हो जाता है। बालों की जड़ यानि स्कैल्प को इससे जरुरी प्रोटीन केराटिन मिलता है और बालों का झड़ना-गिरना बंद हो जाता है।
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#कपालभाति के लाभ #Kapalbhati #Pranayam Ke Labh

 कपालभाति के लाभ Kapalbhati Pranayam Ke Labh



कपालभाति एक यौगिक श्वसन प्रक्रिया है, जिसे प्राणायाम का हिस्सा माना जाता है। यह "कपाल" (मस्तिष्क) और "भाति" (प्रकाश) शब्दों से बना है, जिसका अर्थ है मस्तिष्क को शुद्ध करना या प्रकाशवान करना। यह अभ्यास शरीर और मन को शुद्ध करने का एक तरीका है।


कपालभाति करने की विधि

  1. बैठने की स्थिति:

    • आरामदायक और सीधी स्थिति में बैठें, जैसे कि पद्मासन, सुखासन या वज्रासन।
    • रीढ़ की हड्डी सीधी और गर्दन तनी हुई हो।
  2. श्वास की प्रक्रिया:

    • सामान्य श्वास लें।
    • नाक के माध्यम से तेज़ी से सांस बाहर निकालें। पेट को अंदर की ओर खींचें।
    • श्वास लेना स्वाभाविक रूप से होगा।
    • इस प्रक्रिया को तेज़ गति से दोहराएं। शुरुआत में 20-30 बार करें और धीरे-धीरे 100-120 बार तक बढ़ाएं।
  3. समाप्ति:

    • अभ्यास के बाद कुछ देर सामान्य श्वास लें और ध्यान करें।

कपालभाति के लाभ

  1. शारीरिक लाभ:

    • फेफड़ों और श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है।
    • पाचन तंत्र को सुधारता है और कब्ज, गैस, व अन्य पेट की समस्याओं को दूर करता है।
    • रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है।
    • वजन घटाने में सहायक है।
  2. मानसिक लाभ:

    • तनाव और चिंता को कम करता है।
    • मस्तिष्क को शुद्ध करता है और एकाग्रता बढ़ाता है।
    • आत्मविश्वास और मानसिक शांति प्रदान करता है।
  3. अन्य लाभ:

    • हॉर्मोनल असंतुलन को ठीक करता है।
    • मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद।
    • त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाता है।

कपालभाति के नुकसान (सावधानियाँ):

यदि गलत तरीके से किया जाए या किसी विशेष स्थिति में किया जाए, तो यह नुकसानदेह हो सकता है:

  1. उच्च रक्तचाप और हृदय रोगी:

    • तेज़ श्वास लेने की प्रक्रिया से रक्तचाप बढ़ सकता है।
  2. गर्भवती महिलाएँ:

    • गर्भावस्था के दौरान इसे न करें।
  3. मेडिकल स्थितियाँ:

    • पेट की सर्जरी, हर्निया, या अल्सर के रोगी इसे न करें।
    • मिर्गी और चक्कर आने की समस्या हो तो डॉक्टर की सलाह लें।
  4. थकावट और चक्कर:

    • शुरुआत में तेज़ गति से करने पर सिर चकरा सकता है।

महत्वपूर्ण टिप्स

  • इसे सुबह खाली पेट करें।
  • धीमी गति से शुरू करें और शरीर को आराम दें।
  • प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में करें।
  • अभ्यास के बाद पानी न पीएं; 20-30 मिनट का अंतर रखें।

कपालभाति नियमित रूप से करने पर शरीर और मन दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, लेकिन इसे सही विधि और सावधानी के साथ करना जरूरी है।

 

“कपालभाति” यौगिक श्वसन की एक तकनीक है, जिसका वर्णन पारंपरिक योग ग्रंथों में किया गया है | इसका अभ्यास श्वसन दर में वृद्धि के साथ किया जाता है, जिसमें सक्रिय (स्वैच्छिक) प्रश्वास (पेट की मांसपेशियों के सकुंचन द्वारा) तथा निष्क्रिय (अनैच्छिक) श्वास लेना (पेट की मांसपेशियों की विश्रांति) सम्मिलित होता है |

कपालभाति के अभ्यास के लिए अभ्यासी को पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन आदि में अपने रीढ़ व सिर को सीधा रखकर बैठना होता है | आंखें बंद रखकर अभ्यासी की जागरुकता श्वसन क्रिया पर होनी चाहिए |

पारंपरिक योग ग्रंथों में कपालभाति का अभ्यास करने वाले लोगों का विशेष वर्णन मिलता है | घेरंड संहिता में 3 प्रकार के कपालभाति अभ्यास का वर्णन है |

वात क्रम
इस प्रक्रिया में बायीं नासिका से वायु अंदर ली जाती है और दायीं नासिका से बाहर की जाती है तथा पुनः दायीं नासिका से वायु अंदर ली जाती है व बायीं नासिका से बाहर की जाती है |

व्युत क्रम
व्युत क्रम कपालभाति का अभ्यास दोनों नासिका से पानी अंदर खींचकर तथा धीरे-धीरे मुंह से पानी का निष्कासन कर दिया जाता है |

भीत क्रम
भीत क्रम कपालभाति का अभ्यास मुंह से पानी लेकर दोनों नासिका से इसका निष्कासन कर किया जाता है | घेरंड संहिता के कपालभाति अभ्यास के कई लाभ हैं | शरीर लचीला व स्वस्थ बनता है तथा कफ विकार समाप्त हो जाते हैं, वह जो कपालभाति का अभ्यास करते हैं उनके पास वृद्धावस्था से संबंधित विकार नहीं आते | अन्य पारंपरिक योग ग्रंथ जैसे हठ योग प्रदीपिका में भी कपालभाति के यही लाभ वर्णित हैं | प्राचीन ग्रंथों में वर्णित इन लाभों को ध्यान में रखकर, आधुनिक उपकरणों की सहायता से कपालभाति पर वैज्ञानिक अनुसंधान की किए गये जिनके परिणाम इस प्रकार आये-

हृदय संबंधी प्रभाव
हम सभी जानते हैं कि हमारे हृदय के धड़कन की दर घटती-बढ़ती रहती है | जर��
[12/08, 5:56 AM] Kiran Ji: ऊर्जा की खपत
मोटापा भारत में आम समस्या है | मोटापा का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों द्वारा उर्जा लेने तथा शारीरिक या मानसिक स्थितियों के माध्यम से उर्जा कम करने के बीच असंतुलन का पैदा होना है | उर्जा व्यय में एक बहुत महत्वपूर्ण कारक है, ऑक्सीजन जो उर्जा के धन में विशेष मदद करता है |

जितना हम ऑक्सीजन खपत करते हैं, उतनी ही ज्यादा उर्जा (भोजन द्वारा ली गई) का दहन होता है | कपालभाति किस तरह ऊर्जा की खपत में मदद करता है इसे जानने के लिए स्वस्थ कर्मियों पर एक प्रयोग किया गया |

मेडिसन साइंस मॉनिटर बेसिक रिसर्च, 2015, 21:161-171 की रिपोर्ट के अनुसार यह पाया गया कि कपालभाति के दौरान 30% ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है | यह निष्कर्ष निकला कि कपालभाति का अभ्यास ऊर्जा की खपत 42% बढ़ा सकता है, इसलिए यह मोटापा घटाने में लाभकारी है |

मानसिक स्वास्थ्य
स्वस्थ व सुखी जीवन जीने के लिए अच्छा मानसिक स्वास्थ्य आवश्यक है | एक व्यक्ति जिसके ध्यान की क्षमता एंव स्मृति अच्छी है, वह जीवन में ज्यादा सफल हो सकता है उन कर्मियों की तुलना में जिनका ध्यान व स्मृति कमजोर है | एक उपकरण जिसका उपयोग अवध अवधान को मापने में किया जाता है, उसकी सहायता से ध्यान, अवधान पर कपालभाति का प्रभाव देखने के लिए एक अध्ययन किया गया |

‘इवोक्ड पोटेंशियल’ ध्यान मापने के लिए उपयोग में लिए जाने वाले उपकरणों में से एक है |

इस उपकरण में प्रतिभागी को कुछ विशेष ध्वनि पर ध्यान करने को कहा जाता है तथा उस ध्यान के कार्य के दौरान मस्तिष्क क्षेत्रों की सक्रियता को देखा जाता है | इस परीक्षण के दौरान जानकारी निकाली जाती है कि (1) तंत्रिका कोशिकाओं की दक्षता तथा (2) ध्यान कार्य के दौरान उपयोग में आने वाली तंत्रिका कोशिकाओं की मात्रा का स्वरूप क्या है | जर्नल ऑफ अल्टरनेटिव एंड कॉम्प्लीमेंटस मेडिसन, 2009, 15:281:285 के अनुसार यह पता चला कि जो कपालभाति का अभ्यास करते हैं, उनकी--

शनिवार, 21 दिसंबर 2024

#शतावरी के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ

"शतावरी"....Best Energy Booster
 
#शतावरी के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ
#शतावरी के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ

 

आजकल के भागदौड़-भरी जिंदगी में शरीर को चुस्त-दुरुस्त रखना एक चैलेंज है। क्योंकि रोजाना के खाने से हमारे शरीर को वो सारे पोषक तत्व नहीं मिल पाते हैं जिनकी जरूरत होती है। ऐसे में आयुर्वेद विज्ञान में कई ऐसी जड़ी-बूटियां मौजूद है जो इस कमी को पूरा कर सकती है।

1.आयुर्वेद विज्ञान के अनुसार शरीर को ताकतवर बनाने के लिए शतावरी सबसे ज्यादा उपयोगी जड़ी-बूटी है। इसमें मौजूद पोषक तत्व शरीर की इम्यूनिटी बढ़ाने में मदद करते हैं। इससे कार्य क्षमता भी बढ़ती है।

2.शतावरी शरीर में विटामिन्स की कमी को पूरा करता है। इसे रोजाना दूध में घोलकर मिश्री के साथ मिलाकर पीने से ताकत आती है। इसके नियमित सेवन से थकान और कमजोरी भी दूर होती है।

3.शतावरी का सेवन प्रेगनेंट महिलाओं के लिए भी फायदेमंद है। क्योंकि इसमें मौजू फोलेट विटामिन B12 और विटामिन C नए प्रोटीन बनाने में मदद करता है। साथ ही फोलेट हीमोग्‍लाबिन और डीएनए का आंशिक रूप से उत्‍पादन करता है।

4.शतावरी में फैट और कैलोरी बहुत ही कम मात्रा में होते है, साथ ही इसमें बहुत से अघुलनशील और घुलनशील फाइबर इसलिए ये वजन कम करने में मददगार साबित होता हैं

5.यह कब्ज को दूर करने में भी लाभकारी होता है। ये बैड कोलेस्‍ट्रोल को भी कम करता है। इससे दिल सही काम करता है।

6.शतावरी में एंटीऑक्सिडेंट भरपूर मात्रा में होते है। इसमें एंथोकाइनिन की मात्रा काफी होती है। ये हमारे शरीर को संक्रमणों से लड़ने की शक्ति देते है।

7.शतावरी में एंटीऑक्सिडेंट ग्‍लूटाथियोन नामक तत्व होता है। जो बुढ़ापे के असर को रोकते हैं। इसमें मौजूद फोलेट और विटामिन B12 बुढ़ापे से बचाने का काम करते हैं।

8.शतावरी हमारे शरीर से अतिरिक्त नमक और हानिकारक तरल पदार्थ को मूत्र के जरिए बाहर निकालने में मदद करता है। ये एडीमा और हाई ब्‍लड प्रेशर से पीडित लोगों के लिए लाभकारी होता है।

9.शतावरी में ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो शरीर में अच्‍छे बैक्टीरिया लैक्‍टोबैसिलि का पोषण बनते हैं। इससे पेट संबंधित समस्याएं नहीं होती है।

10.शतावारी के सेवन से अतिरिक्त भूख नियंत्रित होती है। इससे व्यक्ति का मूड भी अच्छा रहता है।

   

शतावरी के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ:

फायदे:

  1. हॉर्मोनल बैलेंस को सुधारता है:

    • शतावरी महिलाओं में हार्मोनल असंतुलन को ठीक करने में मदद करती है, खासकर पीरियड्स के दौरान हॉर्मोनल उतार-चढ़ाव को नियंत्रित करने में सहायक होती है।
    • यह बांझपन, पीसीओएस (PCOS) और हार्मोनल गड़बड़ी से जुड़ी समस्याओं में लाभकारी होती है।
  2. इम्यूनिटी को बढ़ावा देती है:

    • शतावरी एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर होती है, जो इम्यून सिस्टम को मजबूत करने में मदद करती है और फ्री रेडिकल्स के कारण होने वाले नुकसान से शरीर की रक्षा करती है।
  3. पाचन तंत्र को सुधारती है:

    • शतावरी में फाइबर और एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो पाचन तंत्र को सही रखने में मदद करते हैं और कब्ज की समस्या को दूर करने में सहायक होती है।
  4. मूत्र मार्ग की स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद:

    • शतावरी मूत्र मार्ग की जलन और सूजन को कम करने में मदद करती है। यह किडनी की सेहत को भी सुधारती है।
  5. मनोबल को बढ़ाने में मददगार:

    • शतावरी तनाव, चिंता और थकावट को दूर करने में सहायक होती है, जिससे मनोबल और ऊर्जा स्तर को बनाए रखने में मदद मिलती है।

नुकसान:

  1. हाइपरसेंसिटिविटी या एलर्जी:

    • कुछ लोगों को शतावरी से एलर्जी हो सकती है, जैसे त्वचा पर रैशेज या खुजली। इसका सेवन सावधानी से करें।
  2. गैस्ट्रिक समस्याएं:

    • अत्यधिक मात्रा में सेवन करने से पेट दर्द, गैस, या अपच की समस्या हो सकती है, खासकर जिनका पाचन तंत्र कमजोर हो।
  3. प्रेग्नेंसी में सावधानी:

    • गर्भवती महिलाओं को शतावरी का सेवन चिकित्सक की सलाह से करना चाहिए, क्योंकि यह हार्मोनल प्रभाव डाल सकती है और गर्भवती महिलाओं में असामान्य गर्भधारण कर सकती है।
  4. हाइपरग्लाइसेमिया (ब्लड शुगर लेवल में वृद्धि):

    • डायबिटिक मरीजों को शतावरी का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए क्योंकि यह ब्लड शुगर को बढ़ा सकती है।

सेवन का तरीका:

  1. दूध के साथ सेवन:
    • शतावरी पाउडर को दूध में मिलाकर रात को सेवन करें, जो हार्मोनल असंतुलन और थकावट को दूर करने में सहायक होता है।
  2. काढ़ा या हर्बल चाय:
    • शतावरी की जड़ों को पानी में उबालकर काढ़ा बनाएं और दिन में सेवन करें।
  3. टेबलेट या पाउडर:
    • शतावरी के पाउडर या कैप्सूल के रूप में भी बाजार में उपलब्ध है, जो प्राचीन आयुर्वेदिक चिकित्सा के लिए उपयोग में आते हैं।

रोगों में लाभ:

  1. हार्मोनल असंतुलन:
    • पीरियड्स, पीसीओएस, बांझपन और हार्मोनल गड़बड़ी में शतावरी के सेवन से लाभ मिलता है।
  2. मूत्र मार्ग की समस्याएं:
    • मूत्र संक्रमण, जलन, और सूजन को कम करने में मददगार।
  3. पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है:
    • कब्ज, अपच और पेट दर्द में राहत प्रदान करता है।
  4. तनाव और मानसिक थकावट:
    • शतावरी का सेवन मानसिक तनाव और थकावट को दूर करने में मदद करता है, जिससे ऊर्जा स्तर और मनोबल बढ़ता है।

शतावरी के सही और नियंत्रित सेवन से शरीर में ऊर्जा, हार्मोनल संतुलन और पाचन तंत्र की समस्याएं दूर होती हैं, लेकिन इसे ज़्यादा मात्रा में लेने से बचना चाहिए, खासकर गर्भवती महिलाओं और डायबिटिक मरीजों के लिए।

#eyes👀 #आंखों में थकान और भारीपन की समस्या से राहत

☘️ *_आंखों में रहती है थकान और भारीपन तो ऐसे करें इनकी देखभाल_*

 
#eyes👀 #आंखों में थकान और भारीपन की समस्या से राहत
#eyes👀 #आंखों में थकान और भारीपन की समस्या से राहत

 

आंखों में थकान और भारीपन की समस्या से राहत पाने के लिए कुछ महत्वपूर्ण नियम और उपाय अपनाए जा सकते हैं। ये उपाय आपकी आंखों की सेहत को बनाए रखने में सहायक हो सकते हैं:

1. सही नींद लें:

  • पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण नींद आंखों की थकान को दूर करने में मदद करती है। हर रात 7-8 घंटे की नींद जरूरी है।
  • सोने से पहले आरामदायक स्थिति में रहें और तनाव मुक्त सोने की कोशिश करें।

2. आंखों की नियमित एक्सरसाइज:

  • आंखों की मसाज करें। आंखों के चारों ओर हल्की मालिश से रक्त परिसंचरण बेहतर होता है।
  • पलकों को झपकाएं – दिन में हर 20-30 मिनट में पलकों को झपकाने से आंखों की थकावट कम होती है।
  • आंखों को हिलाएं और घुमाएं – ऊपर, नीचे, दाएं और बाएं आंखों की घुमाने से भी आंखों की मांसपेशियां मजबूत होती हैं।

3. आंखों को ठंडक पहुंचाएं:

  • ठंडे पानी से आंखें धोएं – ठंडे पानी से आंखों को धोने से थकावट और जलन कम होती है।
  • कूलिंग आई ड्रॉप का उपयोग करें, जिससे आंखों की जलन और सूजन कम होती है।
  • ककड़ी या आलू के टुकड़ों से आई पैक करें – इससे आंखों में भारीपन और जलन कम होती है।

4. पानी का सेवन बढ़ाएं:

  • पर्याप्त मात्रा में पानी पीने से शरीर हाइड्रेट रहता है, जो आंखों के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक है।
  • दिनभर में 8-10 गिलास पानी पीने की आदत डालें।

5. न्यूट्रिशनल डाइट लें:

  • विटामिन A और C से भरपूर आहार लें – जैसे गाजर, पत्तागोभी, संतरे, टमाटर आदि। ये विटामिन आंखों के लिए फायदेमंद होते हैं।
  • सैफोलिया (अलसी के बीज), गहरे हरे पत्ते वाले सब्जियां, और ओमेगा-3 फैटी एसिड का सेवन करें, जो आंखों की स्वस्थता बनाए रखते हैं।

6. डेस्क वर्क के दौरान आँखों का ध्यान रखें:

  • नियमित ब्रेक लें – काम के दौरान हर 20 मिनट में आंखों को आराम देने के लिए 20 सेकंड के लिए दूर देखे।
  • स्क्रीन से दूरी बनाए रखें – स्क्रीन से कम से कम 2-3 फीट की दूरी बनाए रखें और दिन में कई बार आंखों को आराम दें।

7. धूम्रपान और धूल-मिट्टी से बचाव करें:

  • धूल-मिट्टी, प्रदूषण, और धूम्रपान से आंखों को बचाने की कोशिश करें। अगर बाहर निकलते हैं, तो गॉगल्स का प्रयोग करें।
  • धूम्रपान से दूर रहें क्योंकि यह आंखों की रक्त वाहिकाओं को प्रभावित कर सकता है।

8. योग और प्राणायाम:

  • कपालभाति प्राणायाम या भ्रामरी प्राणायाम करने से आंखों की थकावट कम होती है और रक्त संचार ठीक होता है।
  • योगासन जैसे शवासन और आंखों के लिए विशेष योगासन भी आंखों की थकावट को कम कर सकते हैं।

9. तनाव को दूर करें:

  • तनाव आंखों में थकावट और भारीपन का प्रमुख कारण हो सकता है। नियमित ध्यान और प्राणायाम करें, जिससे मानसिक शांति और आराम मिलता है।


1. सुबह सूर्योदय से पहले उठें और उठते ही मुंह में पानी भरकर बंद आंखों पर 20-25 बार ठंडे पानी के छींटे मारें। याद रखें, मुंह पर छींटे मारते समय या चेहरे को पानी से धोते समय मुंह में पानी भरा होना चाहिए।

2. धूप, गर्मी या श्रम के प्रभाव से शरीर गर्म हो तो चेहरे पर ठंडा पानी न डालें। थोड़ा विश्राम कर पसीना सुखाकर और शरीर का तापमान सामान्य करके ही चेहरा धोएं।

3. आंखों को गर्म पानी से नहीं धोना चाहिए, इससे आंखों को नुकसान होता है।

4. बहुत दूर के पदार्थों या दृश्यों को देर तक नजर गड़ाकर न देखें, तेज धूप से चमकते दृश्य को न देखें, कम रोशनी में लिखना, पढ़ना व बारीक काम न करें।

5. नींद, आंखों में भारीपन, जलन या थकान महसूस हो तो काम तत्काल आंखों को बंद कर उन्हें थोड़ा विश्राम दें।

6. देर रात तक जागना और सूर्योदय के बाद देर तक सोना आंखों के लिए हानिकारक होता है। देर रात तक जागना ही पड़े तो घंटा-आधा घंटे में एक गिलास ठंडा पानी पी लेना चाहिए।

7. आंखों को धूल, धुएं, धूप और तेज हवा से बचाना चाहिए।

8. लगातार आंखों से काम ले रहे हों तो बीच में 1-2 बार आंखें बंद कर, आंखों पर हथेलियां हलके-हलके दबाव के साथ रखकर आंखों को आराम देते रहें।

9. कभी-कभी रोना आंखों के लिए फायदेमंद होता है। इससे मन के साथ-साथ आंखों की भी सफाई होती है।

इन नियमों को अपनाकर आप आंखों की थकान और भारीपन की समस्या को नियंत्रित कर सकते हैं, जिससे आपकी आंखों की सेहत भी बेहतर होगी और समग्र स्वास्थ्य भी सुधरेगा।


भारत माता की जय 🇮🇳
सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः


#सोते समय हमें क्या-क्या नियम अपनाने चाहिए

 ☘️ *_सोते समय रखे ध्यान, करवट का है महत्वपूर्ण स्थान जानिये बांयी करवट सोने के फायदे_*

#सोते समय हमें क्या-क्या नियम अपनाने चाहिए
#सोते समय हमें क्या-क्या नियम अपनाने चाहिए



सोते समय सही नियम अपनाने से सेहत और भाग्य दोनों को फायदा हो सकता है। यहां कुछ प्रमुख नियम बताए जा रहे हैं जो आपकी नींद की गुणवत्ता को सुधार सकते हैं और स्वास्थ्य, मनोबल, और ऊर्जा को बेहतर बना सकते हैं:

1. समय पर सोने की आदत अपनाएं:

  • रोजाना एक निश्चित समय पर सोने की आदत डालें। रात 10 बजे से 11 बजे के बीच सोने से शरीर की प्राकृतिक मरम्मत और रिकवरी बेहतर होती है।
  • सुबह जल्दी उठने का प्रयास करें, विशेषकर ब्रह्म मुहूर्त में।

2. साफ-सुथरी और शांत जगह पर सोएं:

  • अपने बिस्तर को साफ और स्वच्छ रखें।
  • सोने के कमरे को अंधेरा और शांत रखें ताकि नींद की गुणवत्ता सही हो सके।

3. सोने से पहले डिजिटल उपकरणों का उपयोग न करें:

  • मोबाइल, लैपटॉप, टीवी, आदि को सोने से एक घंटा पहले दूर कर दें। नीली रोशनी आंखों को प्रभावित कर सकती है और नींद को बाधित कर सकती है।

4. सही नींद की स्थिति बनाए रखें:

  • सही पोजीशन में सोने से शरीर को आराम मिलता है। पीठ के बल सोने से रीढ़ और गर्दन को सही सपोर्ट मिलता है।
  • अपनी बायीं ओर सोने से हृदय के लिए बेहतर होता है और पाचन में भी सुधार होता है।

5. भोजन में संयम और सही समय पर लें:

  • सोने से 2-3 घंटे पहले भारी भोजन न करें। हल्का और सुपाच्य भोजन करें ताकि पाचन तंत्र को आराम मिले।
  • दही, चाय, या तला-भुना भोजन नींद में खलल डाल सकता है, इसलिए इसे सीमित करें।

6. भाग्य को बढ़ाने के लिए वास्तु नियम अपनाएं:

  • बिस्तर और कमरे को साफ-सुथरा रखें।
  • उत्तर-दक्षिण दिशा में सिर करके सोएं, क्योंकि यह मस्तिष्क के लिए सकारात्मक होता है।
  • कमरे में सकारात्मक ऊर्जा के लिए सही दिशा में अलमारी या अन्य फर्नीचर रखें।

7. ध्यान और प्राणायाम करें:

  • सोने से पहले योग, प्राणायाम, या साधारण ध्यान करें, जिससे मन शांत होता है और तनाव मुक्त नींद आती है।
  • 10-15 मिनट गहरी सांसों के साथ सोने से पहले स्ट्रेस दूर हो सकता है।

8. नींद से पहले शुद्ध जल पीएं:

  • सोने से पहले हल्का गुनगुना पानी पीने से पाचन सही रहता है और शरीर को हाइड्रेट रखने में मदद मिलती है।

9. प्योर फल, दूध, और जड़ी-बूटियों का सेवन करें:

  • सोने से पहले हल्का गुनगुना दूध, अदरक-हल्दी का काढ़ा या ग्रीन टी पीने से सेहत को लाभ होता है।

10. सकारात्मक सोच और तनाव मुक्त नींद:

  • सोने से पहले अपनी चिंताओं को दूर करें और सकारात्मक सोचें।
  • मंथन, अपने लक्ष्य और सकारात्मक सोच को ध्यान में रखें ताकि दिन की शुरुआत भी ऊर्जा से भरी हो।

इन नियमों का पालन करने से न केवल स्वास्थ्य में सुधार होता है बल्कि मानसिक शांति और सकारात्मक ऊर्जा भी बढ़ती है, जिससे आपके भाग्य को भी सकारात्मक दिशा मिलती है।


अच्छी सेहत के लिए अच्छी नींद तो चाहिए ही। लेकिन क्या आप जानते हैं कि आपका सोने का तरीका भी आपकी सेहत पर असर डालता है? यहां जानिए, बाईं करवट सोने से होते हैं कौन से बेहतरीन फायदे। जानें 7 फायदे -

1  बाईं करवट सोना आपके शारीरिक स्वास्थ्य के लिहाज से बहुत अच्छा होता है। इससे आपके दिल पर अधिक दबाव नहीं पड़ता, और वह बेहतर तरीके से कार्य कर पाता है। जिससे आप अधिक समय तक स्वस्थ रह पाते हैं।

2  इस तरह से शरीर के विभिन्न अंगों और दिमाग तक रक्त के साथ ऑक्सीजन का प्रवाह ठीक तरीके से होता है, और शरीर के सभी अंग स्वस्थ रहते हैं और अच्छी तरह से कार्य करते हैं।

3 गर्भवती महिलाओं के लिए बाईं करवट सोना ही सबसे बेहतर होता है। क्योंकि उससे गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य पर बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। इसके अलावा एड़ी, हाथों और पैरों में सूजन की समस्या भी नहीं होती।

4 बाईं करवट सोने से शरीर में रक्त कर संचार बेहतर होता है और नींद भी अच्छी आती है। इस तरह से सोने पर आपको उठने पर थकान महसूस नहीं होगी और पेट संबंधी समस्याएं भी हल हो जाएंगी।

5  इस तरह से सोने पर भोजन अच्छी तरह से पचता है, और पाचन तंत्र पर अतिरिक्त दबाव भी नहीं पड़ता। बार्ईं करवट सोने से शरीर में जमा होने वाला टॉक्‍सिन लसि‍का तंत्र के माध्यम से निकल जाता है।

6  अगर आपको अक्सर पेट में कब्जियत होती है, तो बाईं ओर सोने से कब्जि‍यत से राहत मिल सकती है। इससे गुरूत्वाकर्षण के कारण भोजन छोटी आंत से बड़ी आंत में बहुत आराम से पहुंचता है और सुबह पेट साफ होने में आसानी होती है।

7  इस तरह से सोने पर पेट का एसिड ऊपर की जगह नीचे की ओर ही जाता है, जिससे एसिडिटी और सीने की जलन नहीं होती। कई बार ठीक तरीके से नहीं सोने की वजह से भी एसिडिटी जैसी समस्या होती है।
                
भारत माता की जय 🇮🇳

#संतरे के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ:

 *खट्टे फलों में संतरे को सबसे ज्यादा फायदेमंद माना जाता है लेकिन क्यों.?*

*जानिये विटामिन-सी से भरपूर संतरे के फायदे...!*

संतरे के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ:

 
#संतरे के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ:
#संतरे के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ:

फायदे:

  1. विटामिन C से भरपूर: संतरे में विटामिन C की प्रचुर मात्रा होती है, जो इम्यून सिस्टम को बढ़ावा देता है और सर्दी-जुकाम जैसी बीमारियों से बचाव करता है।
  2. एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर: संतरे में फ्लेवोनोइड्स और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो फ्री रेडिकल्स को बेअसर कर शरीर को नुकसान से बचाते हैं।
  3. हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद: संतरे में फाइबर, पोटेशियम, और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकते हैं।
  4. पाचन को सुधारता है: संतरे में फाइबर और पानी की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन तंत्र को ठीक रखने में मदद करता है और कब्ज को रोकने में सहायक होता है।
  5. वजन घटाने में सहायक: संतरे में कैलोरी बहुत कम होती है और फाइबर अधिक होने के कारण यह भूख को कंट्रोल करने में मदद करता है, जिससे वजन घटाने में सहायक हो सकता है।
  6. त्वचा को हाइड्रेट करता है: संतरे में विटामिन C त्वचा की रंगत को निखारने और झुर्रियों को कम करने में मदद करता है।

नुकसान:

  1. पाचन तंत्र में समस्या: अधिक मात्रा में संतरे का सेवन करने से पेट में गैस, सूजन, और अपच की समस्या हो सकती है।
  2. मूत्र मार्ग की जलन: संतरे में साइट्रिक एसिड की अधिकता मूत्र मार्ग में जलन पैदा कर सकती है, खासकर जिन लोगों को पेशाब में जलन या संक्रमण की समस्या हो।
  3. एलर्जी की संभावना: कुछ लोगों को संतरे से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर रैशेज या खुजली हो सकती है।
  4. तूलीय प्रवृत्ति (पित्त) बढ़ा सकता है: पित्ताशय से जुड़ी समस्याओं वाले लोग संतरे के अधिक सेवन से बचें क्योंकि यह पित्त को बढ़ा सकता है।

सेवन का तरीका:

  1. संतरे का जूस: ताजा संतरे का जूस पीने से हाइड्रेशन बढ़ता है और विटामिन C की कमी पूरी होती है।
  2. कच्चे फल के रूप में: संतरे को छीलकर सीधे खाएं, ताकि शरीर को फाइबर, विटामिन, और खनिज मिल सकें।
  3. सलाद में: संतरे को सलाद में काटकर शामिल करें, जिससे स्वाद और पोषण दोनों बढ़ते हैं।
  4. मिठाई और डेजर्ट में: संतरे का रस या टुकड़े केक, आइसक्रीम, और अन्य मिठाइयों में डाले जा सकते हैं।

रोगों में लाभ:

  1. इम्यूनिटी बूस्ट: विटामिन C के कारण संतरे सर्दी-जुकाम से बचाव में मददगार होते हैं।
  2. हृदय रोगों से बचाव: संतरे का सेवन कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करके हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकता है।
  3. पाचन तंत्र के लिए लाभकारी: संतरे में फाइबर अधिक होता है, जो कब्ज और अपच की समस्या को दूर करने में मदद करता है।
  4. त्वचा के लिए फायदेमंद: संतरे में मौजूद विटामिन C त्वचा की चमक बढ़ाने और झुर्रियों को कम करने में मददगार होता है।

संतरे का सीमित मात्रा में सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ प्राप्त हो सकते हैं, लेकिन अत्यधिक सेवन से पाचन तंत्र में समस्याएं और जलन हो सकती है।

 

_जिन लोगों को *हाई ब्लडप्रेशर* की समस्या रहती है। उन्हें इसका सेवन जरूर करना चाहिए।_

_*कैंसर से बचाव*_
_संतरे में पोटेशियम और मैग्नेशियम पाया जाता है जो ब्लडप्रेशर को नियंत्रित रखता है। मैंने पढ़ा है कि  एक रिसर्च के अनुसार संतरे का जूस पीने से किडनी से जुड़ी बीमारियों के होने की आशंका कम हो जाती है। किडनी कैंसर से भी बचाव होता है।_

*_दिल और किडनी को रखता है सुरक्षित..._*

_संतरे में फाइबर की अच्छी मात्रा  पाई जाती है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को नियंत्रित करने में भी मददगार होता है। इस तरह ये दिल से जुड़ी समस्याओं को भी दूर करता है।_
_संतरा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता यानि *इम्यूनिटी सिस्टम* को भी मजबूत करता है। इसका सेवन करने से आप सर्दी-खांसी और वायरल संक्रमण से जल्दी प्रभावित नहीं होते।_
_शरीर में किसी भी तरह का थोड़ा दर्द हो रहा हो तो एक गिलास संतरे का जूस पीकर जरूर देखें (चिकित्सिय परामर्श आवश्यक), दर्द से राहत मिलेगी।_
_*वजन कम करना चाहते हैं तो* एक संतरा रोज खाइए। इसमें कैलोरी न के बराबर ही है और मौजूद फाइबर भूख को नियंत्रित रखने में मददगार होता है।_

_*थकान को करें दूर*_
_भागदौड़ करके थकान महसूस हो रही है तो एक गिलास संतरे का जूस पीएं। शारीरिक मानसिक थकान दूर होने के साथ साथ एनर्जी से भरपूर महसूस करेंगे। शुगर की समस्या से जूझ रहे हैं तो कभी कभार संतरा खा सकते हैं। ये ब्लड शुगर को नियंत्रित रखता है, साथ ही इसमें मौजूद विटामिन ए आंखों के लिए भी फायदेमंद होता है।_

रत्नों में हीरा और सब्जियों में #खीरा के औषधीय गुण


*रत्नों में हीरा और सब्जियों में खीरा*
 
खीरा के औषधीय गुण
खीरा के औषधीय गुण

 

कहते हैं रत्नों में हीरा और सब्जियों में खीरा। जी हां, खीरा के खास गुण जानकर आप भी हैरान रह जाएंगे। आपको बता दें कि विदेशों में तो खीरा को सुपर फूड की उपाधि मिली है। शरीर की भीतरी शुद्धि हो या बाहरी ठंडक, खीरा हर तरह से लाजवाब होता है। आइए  जानें ऐसे गुण जिन्हें पढ़कर आप भी खीरा के इस्तेमाल करने को बाध्य हो जाएंगे- 

🥒 खीरा का सबसे पहला गुण है आंखों को शीतलता प्रदान करना। यही वजह है कि ब्यूटी पार्लर में यह अनिवार्य रूप से रखा जाने लगा है। फ्रीज में रखी इसके रस की क्यूब्स को आंखों पर रखने से आंखों की थकान मिटती है। काले धब्बों से भी छुटकारा मिलता है। खीरे को स्लाइस की तरह काटकर आंखों की पलक के ऊपर पर रखने से आंखों को ठंडक मिलती है। खीरा की तासीर जलन कम करने की होती है। 

🥒. खीरा प्यास बुझाता है। पानी की कमी को पूरा करता है। खीरे में 80 प्रतिशत पानी होता है। खीरा खाने के बाद शरीर को पर्याप्त मात्रा में पानी मिल जाता है। 

🥒. खीरा खाने से दिल की जलन कम होती है। धूप से झुलसी त्वचा (सनबर्न) पर खीरा लगाने से शीतलता मिलती है। 

 🥒. खीरा खाने से शरीर के जहरीले तत्व बाहर निकलते हैं। यह आंतों की बड़ी खूबी से सफाई करता है। 

🥒 हमें प्रतिदिन कुछ विटामिन्स लेना बेहद जरूरी होता है। जैसे विटामिन ए, बी और सी हमें नियमित लेना चाहिए। खीरा अकेला हमें प्रतिदिन के विटामिन्स देता है। खीरे के छिलके में विटामिन सी होता है। इसे खाना भी लाभदायक होता है। 

🥒. साफ-सुथरी, चिकनी और चमकदार त्वचा चाहिए तो आप खीरे से अवश्य दोस्ती कीजिए। खीरा में पौटेशियम, मैगनीशियम और सिलीकॉन अत्यधिक मात्रा में होता है। यह खनिज त्वचा के लिए बहुत जरूरी हैं। 

🥒खीरा वजन भी कम करता है। जो लोग अपना वजन घटाना चाहते हैं वे सूप और सलाद में खीरा का सेवन करें। क्योंकि खीरा में जल की मात्रा ज्यादा होती है जबकि कैलोरी नहीं। इसलिए यह जल्दी पेट को तृप्त करती है। 

🥒खीरा में फाइबर होते हैं जो खाना पचाने में मददगार होते हैं। आप कब्ज से परेशान हैं तो रोजाना खीरा खाएं। यह कब्ज के लिए कारगर दवाई है।

🥒. खीरा का यह गुण आपको चौंका देगा। जी हां, कैंसर से लड़ता है। खीरा खाने से कैंसर होने की आशंका कम होती है। खीरे में इकोइसोलएरीक्रिस्नोल, लैरीक्रिस्नोल और पाइनोरिस्नोल तत्व होते हैं। यह तत्व सभी तरह के कैंसर के रोकथाम में सक्षम हैं।  

 🥒 खीरे में मौजूद तत्व सीलिशिया बालों और नाखूनों में चमक लाता है और इन्हें मजबूत करता है। सल्फर और सीलिशिया के कारण बाल तेजी से बढ़ते हैं। 
 
🥒 डार्क सर्कल

महिलाओं में डार्क सर्कल और आंखों के नीचे सूजन होना आम बात है जिससे चेहरे की सुंदरता खराब हो जाती है। ऐसे में खीरे का इस्तेमाल करके आंखों को सुंदर बनाया जा सकता है। खीरे में एंटीऑक्सीडैंट और सिलिका गुण होने के कारण यह चेहरे को ठंडक देता है। खीरे के स्लाइस को अांखों के नीचे 20 मिनट तक रखने से काले घेरे और सूजन ठीक हो जाती है।

🥒 मुंहासे

ऑयली स्किन के कारण त्वचा पर मुंहासे हो जाते हैं ऐसे में खीरे को पीसकर उसमें हल्दी और नींबू की कुछ बूंदे मिलाएं और उसे मुंहासों पर कुछ देर तक लगाकर रखें। इसके बाद चेहरा धो लें। दिन में 2-3 बार ऐसा करने से मुंहासों की समस्या दूर होती है।

🥒. टैनिंग

गर्मी में धूप की वजह से चेहरे पर टैनिंग की समस्या हो जाती है। ऐसे में खीरे को ब्लीच के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। इसके लिए खीरे की प्यूरी बनाकर उसमें नींबू का रस मिलाएं और इसे 15 मिनट के लिए चेहरे पर लगा रहने दें। इसके बाद ठंडे पानी से चेहरा धो लें जिससे त्वचा का कालापन दूर हो जाएगा और चेहरे में निखार आएगा।

🥒ग्लोइंग स्किन

गर्मियों में पसीने के कारण त्वचा और गर्दन का रंग काला हो जाता है ऐसे में खीरे को पीसकर उसका रस निकाल लें और इसे चेहरे और गर्दन पर कुछ देर लगा कर रखें। रोजाना ऐसा करने से बहुत जल्दी त्वचा साफ हो जाएगी और इसमें निखार भी आएगा। इसके अलावा खीरे के स्लाइस को भी गर्दन और चेहरे पर रगड़ सकते हैं।

🥒रोम छिद्र

ऑयली स्किन के कारण त्वचा के रोम छिद्र खुल जाते हैं जो बढ़ती उम्र में काफी बढ़े हो जाते हैं जिससे चेहरे की खूबसूरती खराब हो जाती है। इसके लिए खीरे के रस में नींबू, शहद और एलोवेरा जैल मिलाकर पेस्ट बनाएं और इसे चेहरे पर लगाएं। हफ्ते में 2-3 बार इसे चेहरे पर लगाने से रोम छिद्र बंद हो जाते हैं।

खीरा के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ:

फायदे:

  1. हाइड्रेशन बनाए रखता है: खीरा में 95% से ज्यादा पानी होता है, जो हाइड्रेशन को बनाए रखने में मदद करता है और शरीर को ठंडक पहुंचाता है।
  2. पाचन तंत्र को सुधारता है: खीरा फाइबर से भरपूर होता है, जो पाचन तंत्र को मजबूत बनाता है और कब्ज को रोकने में सहायक होता है।
  3. त्वचा के लिए फायदेमंद: खीरे में एंटीऑक्सीडेंट्स और विटामिन C होते हैं, जो त्वचा को हाइड्रेट रखते हैं, फाइन लाइन्स और झुर्रियों को कम करने में मदद करते हैं।
  4. वजन घटाने में सहायक: खीरे में कैलोरी बहुत कम होती है और फाइबर की अधिकता भूख को नियंत्रित करती है, जिससे वजन घटाने में मदद मिलती है।
  5. मूत्र मार्ग को स्वस्थ रखता है: खीरा शरीर में पानी की कमी नहीं होने देता और मूत्र मार्ग में जलन, सूजन और जल प्रतिधारण को कम करता है।
  6. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर: खीरा एंटीऑक्सीडेंट्स जैसे विटामिन C और फ्लेवोनॉइड्स से भरपूर होता है, जो शरीर को फ्री रेडिकल्स से बचाता है।

नुकसान:

  1. पाचन तंत्र में परेशानी: अधिक मात्रा में खीरे का सेवन करने से पेट में गैस, अपच, या पेट फूलने की समस्या हो सकती है।
  2. पित्ताशय के लिए नुकसानदायक: जिन लोगों को पित्ताशय की पथरी की समस्या है, उन्हें खीरे का सेवन सीमित मात्रा में करना चाहिए क्योंकि यह कूलिंग इफेक्ट पैदा कर सकता है।
  3. गैस्ट्रोइंटेस्टाइनल समस्याएं: ज्यादा मात्रा में खीरा खाने से पेट में भारीपन या गैस्ट्रिक समस्या हो सकती है।
  4. मूत्र मार्ग में जलन: जिन लोगों को मूत्र मार्ग में संक्रमण या जलन हो, उनके लिए खीरा अधिक सेवन करना नुकसानदायक हो सकता है।

सेवन का तरीका:

  1. सादा या सलाद के रूप में: खीरा को कच्चा, टुकड़ों में काटकर या सलाद में मिलाकर खाएं।
  2. जूस के रूप में: खीरा का जूस पीना शरीर को ठंडक पहुंचाने में मददगार हो सकता है।
  3. सूप या चाट में: खीरा को सूप, रैहड़ी, चाट, और स्नैक में मिलाकर खाएं।

रोगों में लाभ:

  1. हाइड्रेशन बनाए रखना: गर्मी और प्यास लगने पर खीरा हाइड्रेशन बनाए रखने में मददगार है।
  2. पाचन तंत्र के लिए लाभकारी: खीरा कब्ज और अपच की समस्याओं में राहत पहुंचाता है।
  3. त्वचा और बालों के लिए: खीरे में मौजूद विटामिन C और एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा की हाइड्रेशन को बनाए रखते हैं और चमक को बढ़ाते हैं।
  4. मूत्र मार्ग की समस्या में लाभकारी: खीरा मूत्र मार्ग को स्वस्थ रखने में मदद करता है और जलन को कम करता है।

संतुलित मात्रा में खीरे का सेवन करने से शरीर को ठंडक, हाइड्रेशन और कई स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं। लेकिन जरूरत से अधिक सेवन से पाचन संबंधी या मूत्र मार्ग की समस्याएं हो सकती हैं।


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#चना (#Gram) के औषधीय गुण*

*चना के औषधीय गुण*
गरीबों का काजू बादाम , चना खाएं सेहत बनाए
 
 
#चना  (#Gram) के औषधीय गुण*
#चना  (#Gram) के औषधीय गुण*

चना (Gram) के औषधीय गुण और स्वास्थ्य लाभ:

फायदे:

  1. पाचन सुधारता है: चने में फाइबर होता है जो पाचन तंत्र को बेहतर बनाता है और कब्ज की समस्या से राहत देता है।
  2. प्रोटीन का बेहतरीन स्रोत: चने में उच्च मात्रा में प्रोटीन होता है, जो मांसपेशियों के विकास, ऊर्जा उत्पादन और टिशू रिपेयर के लिए फायदेमंद होता है।
  3. हृदय स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद: चने में पोटेशियम, फाइबर और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो कोलेस्ट्रॉल लेवल को नियंत्रित करने में मदद करते हैं और हृदय रोगों के जोखिम को कम कर सकते हैं।
  4. वजन घटाने में सहायक: चने में फाइबर और प्रोटीन की अधिकता होती है, जो लंबे समय तक भूख को शांत रखता है और वजन घटाने में मदद करता है।
  5. एनीमिया से बचाव: चने में आयरन, फोलिक एसिड, और विटामिन B-12 होते हैं, जो एनीमिया के उपचार में सहायक हो सकते हैं।
  6. मूत्र मार्ग स्वास्थ्य: चने में पोटेशियम होता है, जो मूत्र मार्ग के स्वास्थ्य में मदद करता है और किडनी स्टोन के जोखिम को कम कर सकता है।
  7. त्वचा व बालों के लिए फायदेमंद: चने में विटामिन B, प्रोटीन और फोलिक एसिड होते हैं, जो बालों को स्वस्थ और चमकदार बनाए रखने में मदद कर सकते हैं।

नुकसान:

  1. अतिसेवन से गैस व अपच: अधिक मात्रा में चने खाने से पेट में गैस, bloating और अपच की समस्या हो सकती है।
  2. किडनी पर दबाव: जिन लोगों को किडनी की समस्याएं हैं, उन्हें चने सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए, क्योंकि यह पोटेशियम और फॉस्फोरस में अधिक होते हैं।
  3. पाचन तंत्र पर भार: अधिक मात्रा में चने का सेवन पाचन तंत्र पर दबाव डाल सकता है और लैक्टीक एसिड के बढ़ने से मांसपेशियों में दर्द हो सकता है।
  4. एलर्जी की संभावना: कुछ लोगों को चने से एलर्जी हो सकती है, जिससे त्वचा पर रैशेज, खुजली या गॅस्ट्रिक समस्याएं हो सकती हैं।

सेवन का तरीका:

  1. पकी हुई या अंकुरित: चने को उबालकर, भिगोकर या अंकुरित करके खाएं, जिससे पाचन में आसानी हो।
  2. सलाद, सूप या स्टफिंग में डालें: चने का उपयोग सलाद, सूप, दलिया, या सूखे मेवों में मिलाकर करें।
  3. बेसन के रूप में: चने का आटा (बेसन) नाश्ता, पकौड़े, या अन्य व्यंजनों में उपयोग करें।

रोगों में लाभ:

  1. हृदय रोग: चने में मौजूद फाइबर, प्रोटीन, और एंटीऑक्सीडेंट्स हृदय स्वास्थ्य को बेहतर बनाए रखते हैं।
  2. पाचन समस्याएं: फाइबर की अधिकता के कारण पाचन को सुधारने में मदद मिलती है, जिससे कब्ज और अपच की समस्या दूर होती है।
  3. एनीमिया: आयरन और फोलिक एसिड के कारण एनीमिया के उपचार में चने फायदेमंद हो सकते हैं।
  4. वजन घटाने में सहायक: फाइबर की मौजूदगी भूख को नियंत्रित करती है और वजन घटाने में मदद करती है।

संतुलित मात्रा में चने का सेवन करने से शरीर को कई लाभ मिल सकते हैं, लेकिन अत्यधिक सेवन से कुछ नुकसान भी हो सकते हैं, खासकर जिन लोगों को किडनी या पाचन तंत्र से जुड़ी समस्याएं हो।

आयुर्वेद में चने की दाल और चने को शरीर के लिए स्वास्थवर्धक बताया गया है। चने के सेवने से कई रोग ठीक हो जाते हैं। क्योंकि इसमें प्रोटीन, नमी, कार्बोहाइड्रेट, आयरन, कैल्शियम और विटामिन्स पाये जाते हैं। स्वास्थ्य के लिए भी यह दूसरी दालों से पौष्टिक आहार है। चना शरीर को बीमारियों से लड़ने में सक्षम बनाता है। साथ ही यह दिमाग को तेज और चेहरे को सुंदर बनाता है। चने के सबसे अधिक फायदे इन्हे अंकुरित करके खाने से होते है।

*1- सुबह खाली पेट चने से मिलते है कई फायदे :*

शरीर को सबसे ज्यादा पोषण काले चनों से मिलता है। काले चने अंकुरित होने चाहिए। क्योंकि इन अंकुरित चनों में सारे विटामिन्स और क्लोरोफिल के साथ फास्फोरस आदि मिनरल्स होते हैं जिन्हें खाने से शरीर को कोई बीमारी नहीं लगती है। काले चनों को रातभर भिगोकर रख लें और हर दिन सुबह दो मुट्ठी खाएं। कुछ ही दिनों में र्फक दिखने लगेगा।

*2- भीगे चने से लाभ :*
रातभर भिगे हुए चनों से पानी को अलग कर उसमें अदरक, जीरा और नमक को मिक्स कर खाने से कब्ज और पेट दर्द से राहत मिलती है।

*3- अंकुरित चना :*
शरीर की ताकत बढ़ाने के लिए अंकुरित चनों में नींबू, अदरक के टुकड़े, हल्का नमक और काली मिर्च डालकर सुबह नाश्ते में खाएं। आपको पूरे दिन की एनर्जी मिलेगी।

*4- चने का सत्तू :*
चने का सत्तू भी स्वास्थ्य के लिए अत्यन्त लाभकारी औषघि है। शरीर की क्षमता और शक्ति को बढ़ाने के लिए गर्मीयों में आप चने के सत्तू में नींबू और नमक मिलकार पी सकते हैं। यह भूख को भी शांत रखता है।

*5.पथरी की समस्या में चना :* 
पथरी की समस्या अब आम हो गई है। दूषित पानी और दूषित खाना खाने से पथरी की समस्या बढ़ रही है। गाल ब्लैडर और किड़नी में पथरी की समस्या सबसे अधिक हो रही है। एैसे में रातभर भिगोए चनों में थोड़ा शहद मिलाकर रोज सेवन करें। नियमित इन चनों का सेवन करने से पथरी आसानी से निकल जाती है। इसके अलावा आप आटे और चने का सत्तू को मिलाकर बनी रोटियां भी खा सकते हो।

*6.शरीर की गंदगी साफ करना :*
 काला चना शरीर के अंदर की गंदगी को अच्छे से साफ करता है। जिससे डायबिटीज, एनीमिया आदि की परेशानियां दूर होती हैं। और 👍 बुखार आदि में भी लाभ देता है।

*7. डायबिटीज के रोगियों के लिए :*
 चना ताकतवर होता है। यह शरीर में ज्यादा मात्रा में ग्लूकोज को कम करता है जिससे डायबिटीज के मरीजों को फायदा मिलता है। इसलिए अंकुरित चनों को सेवन डायबिटीज के रोगियों को सुबह-सुबह करना चाहिए

*8. मूत्र संबंधी रोग :*
 मूत्र से संबंधित किसी भी रोग में भुने हुए चनों का सवेन करना चाहिए। इससे बार-बार मूत्र आने की दिक्कत दूर होती है। भुने हुए चनों में गुड मिलाकर खाने से यूरीन की किसी भी तरह समस्या में राहत मिलती है।

*9. पौरुष शक्ति के लिये :* 
अधिक काम और तनाव की वजह से पुरूषों में कमजोरी होने लगती है। एैसे में अंकुरित चना किसी वरदान से कम नहीं है। पुरूषों को अंकुरित चनों को चबा-चबाकर खाने से कई फायदे मिलते हैं। इससे पुरूषों की कमजोरी दूर होती है। भीगे हुए चनों के पानी के साथ शहद मिलाकर पीने से पौरूषत्व बढ़ता है। और नपुंसकता दूर होती है।

*10. पीलिया के रोग में :*
 पीलिया की बीमारी में चने की 100 ग्राम दाल में दो गिलास पानी डालकर अच्छे से चनों को कुछ घंटों के लिए भिगो लें और दाल से पानी को अलग कर लें अब उस दाल में 100 ग्राम गुड़ मिलाकर 4 से 5 दिन तक रोगी को देते रहें। पीलिया से लाभ जरूरी मिलेगा। पीलिया रोग में रोगी को चने की दाल का सेवन करना चाहिए।

*11. कुष्ठ रोग में चना :*
 कुष्ठ रोग से ग्रसित इंसान यदि तीन साल तक अंकुरित चने खाएं। तो वह पूरी तरह से ठीक हो सकता है।

*12. गर्भावस्था :*
गर्भवती महिला को यदि मितली या उल्टी की समस्या बार-बार होती हो। तो उसे चने का सत्तू पिलाना चाहिए। 

*13. अस्थमा रोग में :* अस्थमा से पीडि़त इंसान को चने के आटे का हलवा खाना चाहिए। इस उपाय से अस्थमा रोग ठीक होता है।

*14. त्वचा की समस्या में :* 
चने के आटे का नियमित रूप से सेवन करने से थोड़े ही दिनों में खाज, खुजली और दाद जैसी त्वचा से संबंधित रोग ठीक हो जाते हैं। 

*15. पुरानी कफ़ :*
लंबे समय से चली आ रही कफ की समस्या में भुने हुए चनों को रात में सोते समय अच्छे से चबाकर खाएं और इसके बाद दूध पी लें। यह कफ और सांस की नली से संबंधित रोगों को ठीक कर देता है।

*16. चेहरे की चमक के लिए चना :*
चेहरे की रंगत को बढ़ाने के लिए नियमित अंकुरित चनों का सेवन करना चाहिए। साथ ही आप चने का फेस पैक भी घर पर बनाकर इस्तेमाल कर सकेत हो। चने के आटे में हल्दी मिलाकर चेहरे पर लगाने से त्वचा मुलायम होती है। महिलाओं को हफ्ते में कम से कम एक बार चना और गुड जरूर खाना चाहिए।

*17. दाद खाज और खुजली :*
 एक महीने तक चने के आटे की रोटी का सेवन करने से त्वचा की बीमारियां जैसे खुजली, दाद और खाज खत्म हो जाती हैं

*18. धातु पुष्ट :* दस ग्राम शक्कर और दस ग्राम चने की भीगी हुई दाल को मिलाकर कम से कम एक महीने तक खाने से धातु पुष्ट होती है। 

 चने को अपने भोजन में सम्मिलित करें। यह किसी औषधि से कम नहीं है। 
 अंकुरित चनों का प्रयोग प्रतिदिन किया जा सकता है।

#किशमिश खाने से क्या फायदे जानिए*

*किशमिश खाने से क्या फायदे जानिए*

*किशमिश खाने से क्या फायदे जानिए*
*किशमिश खाने से क्या फायदे जानिए*


*किशमिश के स्वाद से हर कोई वाकिफ है, लेकिन क्या आप इसके स्वास्थ्य लाभों के बारे में जानते हैं? आपको जानकर हैरानी होगी कि छोटे से आकार की किशमिश सिर्फ अपने मीठेपन तक सीमित नहीं है, बल्कि शरीर से जुड़ी कई सामान्य और गंभीर बीमारियों के इलाज के लिए इसका सेवन किया जा सकता है। यह हाजमा ठीक करने से लेकर शरीर में ऊर्जा बढ़ाने तक का काम कर सकती है।*

अगर आपके मन में किशमिश को लेकर उत्सुकता जाग चुकी है, तो इस लेख को अंत तक जरूर पढ़ें। हमारे साथ जानिए कि किशमिश आतंरिक स्वास्थ्य से लेकर त्वचा व बालों पर किस प्रकार काम करती है।

किशमिश के फायदे:

  1. पाचन में सहायक: किशमिश में फाइबर होता है, जो पाचन सुधारने में मदद करता है और कब्ज की समस्या को दूर करता है।
  2. हड्डियों को मजबूत करता है: किशमिश कैल्शियम और मिनरल्स से भरपूर होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत करने में मदद करते हैं।
  3. एंटीऑक्सीडेंट से भरपूर: किशमिश में एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो शरीर को मुक्त कणों से होने वाले नुकसान से बचाते हैं और उम्र बढ़ने की प्रक्रिया को धीमा कर सकते हैं।
  4. ऊर्जा का स्रोत: किशमिश में प्राकृतिक शुगर और कार्बोहाइड्रेट होते हैं, जो ऊर्जा बढ़ाने में मदद करते हैं, खासकर तनाव या थकावट के समय।
  5. दिल के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद: किशमिश हृदय स्वास्थ्य में मदद करते हैं क्योंकि इनमें पोटेशियम और एंटीऑक्सीडेंट्स होते हैं, जो रक्तचाप को नियंत्रित करने में मदद कर सकते हैं।
  6. एनीमिया से बचाव: किशमिश आयरन और फोलिक एसिड से भरपूर होते हैं, जो एनीमिया से बचाव में सहायक हो सकते हैं।
  7. त्वचा के लिए फायदेमंद: किशमिश में मौजूद विटामिन्स और एंटीऑक्सीडेंट्स त्वचा की चमक को बढ़ाने में मदद कर सकते हैं।

नुकसान:

  1. शुगर और कैलोरी की अधिकता: किशमिश में प्राकृतिक शुगर अधिक होती है, जो वजन बढ़ाने का कारण बन सकती है अगर इसे अधिक मात्रा में खाया जाए।
  2. दांतों की समस्याएं: किशमिश में फ्रुक्टोज और शर्करा अधिक होने के कारण यदि दांतों की ठीक से सफाई न हो, तो इससे दांतों की समस्याएं हो सकती हैं।
  3. गैस और अपच: अत्यधिक किशमिश खाने से पेट में गैस, सूजन, और अपच की समस्या हो सकती है।
  4. मूत्र मार्ग में समस्याएं: जिन लोगों को किडनी या मूत्र मार्ग से संबंधित समस्या है, उन्हें किशमिश सीमित मात्रा में ही खाना चाहिए क्योंकि इसमें पोटेशियम की अधिकता हो सकती है।

सेवन का तरीका:

  1. सादा या भिगोकर सेवन: किशमिश को रातभर पानी में भिगोकर नाश्ते में खाएं या सलाद, दलिया, दूध, और फलों में मिलाकर खाएं।
  2. मिठाई, ड्रिंक्स, और स्नैक्स में डालें: किशमिश का उपयोग कई व्यंजनों, ड्रिंक्स, और मिठाई में किया जा सकता है।
  3. मध्यम मात्रा में सेवन करें: किशमिश को 10-15 नग प्रतिदिन खाने की मात्रा पर्याप्त मानी जाती है।

रोगों में लाभ:

  1. हृदय स्वास्थ्य: किशमिश रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होती है, जिससे हृदय रोगों का खतरा कम हो सकता है।
  2. पाचन समस्याएं: फाइबर की अधिकता के कारण पाचन तंत्र को बेहतर बनाती है और कब्ज को रोकने में मदद करती है।
  3. एनीमिया: किशमिश में आयरन और फोलिक एसिड के कारण एनीमिया में राहत मिल सकती है।
  4. त्वचा व बालों के लिए फायदेमंद: किशमिश त्वचा और बालों की चमक और मजबूती को बनाए रखने में मदद करती है।

संतुलित मात्रा में किशमिश का सेवन करने से स्वास्थ्य लाभ मिल सकते हैं, लेकिन अधिक मात्रा में सेवन से नुकसान भी हो सकता है।

*किशमिश के फायदे*
 किशमिश को चुनिंदा ड्राई फ्रूट्स में गिना जाता है, जो अंगूर का सूखा रूप है, यानी इसे बनाने के लिए अंगूरों को सुखाया जाता है। यह सेहत के लिए बहुत फायदेमंद है। इसमें वो सभी औषधीय गुण पाए जाते हैं, जो अंगूर में होते हैं। किशमिश आयरन, कैल्शियम, फाइबर, पोटैशियम, मैग्नीशियम, एंटीइंफ्लेमेटरी और एंटीऑक्सीडेंट गुणों से समृद्ध होती है । इसका नियमित सेवन करने से पाचन तंत्र व इम्यून सिस्टम के साथ-साथ हड्डियां और मांसपेशियां तक स्वस्थ रहती हैं।

*किशमिश किस प्रकार शरीर के आंतरिक और बाहरी स्वास्थ्य को ठीक रखने में मदद कर सकती है।सेहत के लिए किशमिश के फायदे*

*एनीमिया से राहत*
 एनीमिया जैसी घातक बीमारी का इलाज करने के लिए आप किशमिश का सेवन कर सकते हैं। शरीर में आयरन की कमी से एनीमिया जैसे बीमारी होती है और किशमिश इस कमी को पूरा करने का काम करती है। किशमिश आयरन और विटामिन-बी से समृद्ध होती है, जो एनीमिया के लिए फायदेमंद साबित हो सकती है ।

*पाचन में सहायता*

 पाचन क्रिया को सही रखने के लिए आप रोजाना कुछ किशमिश खा सकते हैं। किशमिश अन्य जरूरी पोषक तत्वों के साथ-साथ फाइबर से भी समृद्ध होती है 
 फाइबर भोजन को पचाने में सहायता करता है और कब्ज से भी राहत दिलाता है।

किशमिश का दैनिक सेवन आपको मल त्यागने में सहायता करेगा और इसमें मौजूद फाइबर विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करेगा। पाचन स्वास्थ्य के लिए रोजाना किशमिश का सेवन एक कारगर विकल्प हो सकता है।

*हड्डियों के लिए* 
पाचन के अलावा किशमिश खाने का फायदा हड्डियों को भी मिलता है। यह कैल्शियम का अहम स्रोत है, जो हड्डियों के बेहतर स्वास्थ्य के लिए जरूरी तत्व है । शरीर में कैल्शियम का स्तर बने रहने से गठिया और गाउट जैसी समस्याएं दूर रहती हैं।

*कैंसर के लिए उपयोगी*
 आपको जानकर हैरानी होगी कि किशमिश कैंसर जैसी घातक बीमारी की आशंका को भी कम कर सकती है। इसमें कैटेचिन नामक शक्तिशाली एंटीऑक्सीडेंट पाया जाता है, जो शरीर को मुक्त कणों (Free Radicals) से बचाने का काम करता है। ये मुक्त कण ट्यूमर और पेट के कैंसर का कारण बन सकते हैं ।

*एसिडिटी* 
एसिडिटी एक आम समस्या है, जो खानपान में गड़बड़ी के कारण हो जाती है। इससे निजात पाने के लिए आप किशमिश का सहारा ले सकते हैं। किशमिश में पोटैशियम और मैग्नीशियम जैसे पोषक तत्व होते हैं । ये पोषक तत्व एसिडिटी को कम करने का काम करते हैं। इसके अलावा, ये पोषक तत्व गठिया, गाउट, पथरी और यहां तक कि हृदय रोग जैसी बीमारियों को रोकने में भी मदद करते हैं।

*ऊर्जावान* 
अंगूर को सूखाने के बाद उसमें मौजूद पोषक तत्व अधिक केंद्रित हो जाते हैं। आप रोजाना आधी मुट्ठी भर किशमिश नाश्ते में ले सकते है। इसमें विटामिन-बी के समूह (बी1, बी2, बी3, बी4, बी5, बी6, बी7 और बी12) से समृद्ध होती है, जो आपको दिन भर ऊर्जावान रखने में मदद करेंगे । इन पोषक तत्वों के अलावा इसमें मौजूद कार्बोहाइड्रेट भी एनर्जी का अच्छा स्रोत है। खासकर, अधिक शारीरिक श्रम करने वाले लोग किशमिश को अपने दैनिक जीवन में स्थान दे सकते हैं।

*आंखों के लिए* 
आंखों के लिए भी किशमिश के फायदे बहुत हैं। इसमें पॉलीफेनोलिक फाइटोन्यूट्रिएंट्स नामक जरूरी तत्व प्रचुर मात्रा में पाया जाता है, जो कारगर एंटीऑक्सीडेंट है और आंखों की रोशनी को मजबूत रखने में मदद करता है। किशमिश में मौजूद एंटीऑक्सीडेंट आंखों को कमजोर करने वाले मुक्त कणों से बचाता है, जो मोतियाबिंद का कारण बन सकते हैं।

 *मुंह और दांतों की देखभाल*
 किशमिश मुंह और दांतों के स्वास्थ्य के लिए लाभकारी है। इसमें ओलीनोलिक एसिड होता है, जो दातों को टूटने से और कैविटीज से बचाता है। इसके अलावा, किशमिश दांतों की बेहतर स्थिति बनाए रखने के लिए मुंह में बैक्टीरिया के विकास को भी रोकता है। चूंकि, इसमें कैल्शियम की अच्छी मात्रा होती है, इसलिए दांतों के छिलने और टूटने की स्थिति को नियंत्रित करता है ।

*वजन बढ़ाने में मददगार*
 अगर आप अंडरवेट हैं और अपने वजन को बढ़ाना चाहते हैं, तो किशमिश आपकी मदद कर सकती है। किशमिश फ्रुक्टोज से भरपूर होती है, जो शरीर का वजन बढ़ाने में मदद कर सकती है ।

*उच्च रक्तचाप* 

उच्च रक्तचाप से परेशान लोग किशमिश को दैनिक जीवन में जगह दे सकते हैं। किशमिश हेल्दी डाइट को बढ़ावा देने का काम करती है, जिसे खाने की सलाह डॉक्टर देते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार किशमिश उच्च रक्तचाप की स्थिति को नियंत्रित कर सकती है।

किशमिश के महत्व को इस प्रकार समझा जा सकता है कि इसे डैश (DASH) डाइट प्लान में भी जगह दी गई है। डैश कम सोडियम युक्त फल-सब्जियां, फैट मुक्त या कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स, अनाज,आदि खाद्य सामग्रियों का समूह होता है। शरीर से जुड़ी कई बीमारियों के लिए डैश डाइट को अपनाया जा रहा है। डैश डाइट हाइपरटेंशन की स्थिति को सामान्य करने में मदद कर सकती है । उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने के लिए आप किशमिश की एक चौथाई मात्रा का सेवन कर सकते हैं।

*बुखार में मददगार* 
किशमिश खाने के फायदे बहुत हैं। एंटीऑक्सीडेंट और एंटीबैक्टीरियल गुणों से समृद्ध किशमिश संक्रमण को खत्म कर बुखार को कम कर सकती है। बुखार के लिए किशमिश का सेवन करने के लिए आप लगभग 20 किशमिश को एक घंटे के लिए एक कप पानी में भिगोकर रख दें और जब किशमिश नरम हो जाए, तो इसका सेवन करें। बुखार होने पर आप इस उपाय को रोजाना कर सकते हैं ।

*मधुमेह के लिए* 
मधुमेह के रोगियों के लिए भी किशमिश लाभकारी हो सकती है। अध्ययनों से पता चलता है कि किशमिश पोस्ट-प्रांडियल इंसुलिन प्रतिक्रिया को नियंत्रित कर सकती है। शुगर से ग्रसित मरीजों के लिए यह फायदेमंद हो सकती है। इसके अलावा, किशमिश लेप्टिन और घ्रेलिन को भी नियंत्रित कर सकती है। ये वो हार्मोंस होते हैं, जो बताते हैं कि आपको भूख लगी है या नहीं। मधुमेह के मरीज इस प्रकार अपने खानपान पर नियंत्रण कर सकते हैं।

*कब्ज में फायदेमंद* 
जैसा कि हमने पहले बताया है कि किशमिश में अन्य जरूरी पोषक तत्वों के साथ-साथ फाइबर भी होता है। फाइबर पाचन क्रिया को संतुलित करने में मदद करता है। किशमिश में मौजूद फाइबर कब्ज जैसी स्थितियों में भी लाभकारी होता है । कब्ज से दूर रहने के लिए आप रोजाना किशमिश का सेवन कर सकते हैं।

*यौन स्वास्थ्य* 
किशमिश यौन स्वास्थ्य को बनाए रखने में भी मददगार साबित हो सकती है। किशमिश में आर्जिनिन नामक एक एमिनो एसिड होता है, जो काम उत्तेजना को बढ़ाने का काम करता है। यह पुरुषों के लिए नपुंसकता (Erectile dysfunction) जैसी समस्या के लिए उपयोगी हो सकता है। इसके अलावा, किशमिश शरीर को ऊर्जावान बनाने का काम भी करती है। आप रोजाना दूध के साथ पांच-दस किशमिश का सेवन कर सकते है

बाल झड़ने के प्रमुख कारण इलाज

*◆बालों के झड़ने का  इलाज◆*   बाल झड़ने के प्रमुख कारण  इलाज बाल झड़ने का कारण कई शारीरिक, मानसिक और पर्यावरणीय कारकों का परिणाम हो सकता है...