उत्तम स्वास्थ्य और जीवन के लिए ध्यान योग, जानिए ध्यान योग के लाभ और कायदे

उत्तम #स्वास्थ्य और #जीवन के लिए ध्यान योग
स्वस्थ जीवन जीने और मानव जीवन की श्रेष्ठता सिद्ध करने के लिए एक परिपूर्ण और सार्थक जीवन शैली अपनाना आवश्यक है । ध्यान योग वो पद्धति है जिससे आत्मा को परमात्मा के साथ युक्तिसंगत बनाकर जीवन की सार्थकत सिद्ध की जा सकती है । ध्यान योग के निम्न चरण है
I. प्रथम चरण – श्वास पर मन को एकाग्र करने की विधियाँ
II. द्वितीय चरण – पांच ज्ञानेंद्रियों के निग्रह की क्रियाएँ
III. तृतीय चरण – अंतरंग योग की साधना ध्यान की चरम स्थिति
पूर्व विवेचन में हमने ध्यान योग के तीन प्रमुख चरण बताए हुए प्रथम चरण श्वास और मन की संगतता और नियंत्रण पर चर्चा की आज हम इसके द्वितीय चरण पर चर्चा करेंगे।
द्वितीय चरण – पांच ज्ञानेंद्रियों के निग्रह की क्रियाएँ
इस चरण में आपकी ज्ञानेन्द्रियो पर नियंत्रण करना प्रमुख है जो कि निम्न प्रकार है।
(1) कानों पर नियंत्रण
(2) जिह्वा पर नियंत्रण
(3) नाक पर नियंत्रण
(4) आंख पर नियंत्रण
(5) त्वचा (चर्म) पर नियंत्रण
इन पाँच ज्ञानेंद्रियों को नियंत्रण में रखने की क्रियाओं का विवरण इस द्वितीय चरण का मुख्य विषय है। कान, जिह्वा, नाक, आँख तथा चर्म, ये पाँच ज्ञानेंद्रियाँ हैं। इन्हें नियंत्रण में रखना आवश्यक है।
एक-एक ज्ञानेंद्रिय को नियंत्रण में रखने का प्रयास करें तो धीरे-धीरे सफलता मिलेगी| साथ ही साथ वह ज्ञानेंद्रिय अपने काम में परिपक्वता प्राप्त करेगी। इससे मानसिक हलचल दूर होगी।
आज हम इसके प्रथम खंड का अध्धयन करेंगे
(1) कानों पर नियंत्रण
कानों का काम सुनना है। कोई ध्वनि बार-बार कानों को सुनाई पड़े तो मन की एकाग्रता भंग होगी। परन्तु मन का नियंत्रण कानों पर हो जाये तो मन जो सुनना चाहेगा, वही कान सुनेंगे। उदाहरण के लिये हम कोई मनपसंद गाना सुनते रहते हैं या मन पंसद व्यक्तियों से बातें करते रहते है, तब हमारे कान अन्य ध्वनियाँ नहीं सुनेंगें। इससे स्पष्ट है कि कानों को हम वश में रख सकते हैं।
कानो पर नियंत्रण के लाभ
वैचारिक क्रियाओं को बेहतर तरीके से क्रियान्वित करने में सहायता मिलती है।
श्रवण शक्ति भी बढ़ेगी।
कर्ण विकारों को दूर करने में आसानी होगी
एकाग्रता में वृद्धि होगी
महत्वपूर्ण विषय के छूटने के भय नही होगा
दीर्घ प्रयास करें तो ब्रह्मनाद सुनायी पड़ेगा।
कानो पर नियंत्रण की विधि
इसके लिए निम्नलिखित 6 विधियों को आचरण में लाना चाहिए।
(1) पहली विधि –
यह क्रिया सीधे बैठ कर करें। नाक के द्वारा जल्दी-जल्दी साँस लेते और छोड़ते हुए भस्त्रिका की भांति नाक में बड़ी ध्वनि करें। मात्र वही ध्वनि सुनें। दूसरी ध्वनि न सुनें। आरंभ में एक से दो मिनट यह क्रिया करें।
(2) दूसरी विधि –
सीधे बैठ कर धीरे-धीरे गहरी लंबी साँस नाक से लेते तथा छोड़ते हुए बड़ी ध्वनि करें। मात्र वही ध्वनि दो तीन मिनट सुनते रहें।
(3) तीसरी विधि –
यह सूक्ष्म क्रिया है। सामान्य ढंग से साँस लेते और छोड़ते रहें। इससे संबंधित कोई ध्वनि कानों को सुनायी नहीं देगी। नि:शब्द चलते इन श्वास-प्रश्वासों पर मन को एकाग्र करें। श्वास-प्रश्वास की बड़ी सूक्ष्म ध्वनि मन के द्वारा सुनने की अनुभूति प्राप्त करें। दूसरी कोई ध्वनि न सुनें।
(4) चौथी विधि –
हमारे आस-पास हमेशा कई ध्वनियाँ सुनायी पड़ती हैं। ऊँची और धीमी उन ध्वनियों को सुनते रहें। उनमें से किसी एक ध्वनि को पूरी एकाग्रता से 2 से 5 सेकंड तक सुनते रहें। एक के बाद एक ध्वनि इसी प्रकार एकाग्रता से सुनते रहें। जो ध्वनि सुन रहे हैं, केवल वही एक ध्वनि सुनें। अन्य ध्वनियों की उपेक्षा करें |
(5) पाँचवीं विधि –
आसपास की ध्वनियाँ सुनना बंद करें। केवल दूर से आती जाती ध्वनि मात्र, अर्थात् मोटर, हवाई जहाज तथा रेल आदि की ध्वनियों में से मात्र कोई एक ध्वनि 10 सेकंड तक सुनते रहें। एक-एक ध्वनि एक-एक करके ही सुनें। यह कठिन क्रिया है। धीरे-धीरे प्रयास करते हुए इस क्रिया में सफलता प्राप्त करें।
(6) छठी विधि –
दोनों कानों में दोनों अंगूठे रखें। बाहरी कोई ध्वनि सुनाई न दे। हृदय से निकलने वाली दिव्य ध्वनि सुनने का प्रयास करें। आरंभ में गुंजन जैसी ध्वनि सुनायी पड़ेगी। उसमें लीन होकर उसमें निहित दिव्य ध्वनि सुनें| प्रयास कर इस प्रक्रिया में सफलता प्राप्त करें। आरंभ में 2 से 5 मिनट यह क्रिया करें।
उपर्युक्त छ: विधियों द्वारा कानों को नियंत्रित किया जा सकता है।

ध्यान (मेडिटेशन) और योग उत्तम स्वास्थ्य और जीवन के लिए अत्यधिक प्रभावी साधन माने जाते हैं। ये न केवल मानसिक शांति और आत्म-साक्षात्कार प्रदान करते हैं, बल्कि शरीर, मन और आत्मा के बीच संतुलन स्थापित करते हैं। आयुर्वेद और योग शास्त्रों में ध्यान और योग को एक स्वस्थ, दीर्घायु और समृद्ध जीवन जीने का मार्ग बताया गया है। आधुनिक विज्ञान भी इसके स्वास्थ्य लाभों को स्वीकार करता है। यहाँ ध्यान योग के प्रमुख लाभ और फायदे दिए गए हैं:
1. मानसिक शांति और तनाव से मुक्ति
ध्यान योग मानसिक शांति और स्पष्टता प्रदान करता है। इससे तनाव, चिंता और अवसाद जैसी मानसिक समस्याओं में राहत मिलती है।
नियमित ध्यान करने से तनाव हार्मोन कोर्टिसोल का स्तर कम होता है, जिससे तनावग्रस्त स्थिति में राहत मिलती है।
ध्यान मानसिक स्थिरता प्रदान करता है, जिससे एकाग्रता और आत्म-नियंत्रण में सुधार होता है।
2. आत्म-चेतना और आंतरिक शांति
ध्यान योग आत्म-चेतना को जाग्रत करता है। यह व्यक्ति को अपनी आंतरिक प्रकृति को समझने और स्वयं को जानने में मदद करता है।
आत्म-साक्षात्कार से जीवन के प्रति दृष्टिकोण में बदलाव आता है और आंतरिक शांति का अनुभव होता है, जिससे बाहरी दुनिया के तनाव और समस्याओं का प्रभाव कम हो जाता है।
3. भावनात्मक संतुलन
ध्यान योग नकारात्मक भावनाओं जैसे क्रोध, भय, और ईर्ष्या को नियंत्रित करने में सहायक होता है। इससे व्यक्ति सकारात्मक सोच और भावनात्मक संतुलन प्राप्त करता है।
ध्यान अभ्यास से मस्तिष्क के उस भाग का विकास होता है जो भावनाओं को नियंत्रित करता है, जिससे मनोवैज्ञानिक स्थिरता बढ़ती है।
4. ध्यान और शारीरिक स्वास्थ्य
ध्यान योग केवल मानसिक लाभ नहीं देता, बल्कि शारीरिक स्वास्थ्य को भी बेहतर बनाता है। कुछ प्रमुख शारीरिक लाभ निम्नलिखित हैं:
रक्तचाप नियंत्रित करना: ध्यान योग रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक होता है। यह हृदय पर पड़ने वाले दबाव को कम करता है, जिससे हाइपरटेंशन जैसी समस्याओं में आराम मिलता है।
प्रतिरक्षा तंत्र मजबूत करना: ध्यान शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी मजबूत बनाता है, जिससे शरीर संक्रमणों और बीमारियों से लड़ने में सक्षम होता है।
हृदय स्वास्थ्य: नियमित ध्यान योग हृदय की धड़कन और रक्त परिसंचरण को बेहतर बनाता है, जिससे हृदय संबंधी रोगों का खतरा कम होता है।
श्वसन तंत्र सुधार: ध्यान योग श्वास की प्रक्रिया को नियंत्रित करता है और फेफड़ों की क्षमता को बढ़ाता है। यह अस्थमा और ब्रॉन्काइटिस जैसी श्वसन संबंधी बीमारियों में लाभकारी होता है।
5. नींद में सुधार (स्लीप बेनिफिट्स)
ध्यान योग से नींद की गुणवत्ता में सुधार होता है। नियमित ध्यान से अनिद्रा (इंसोम्निया) और अन्य नींद विकारों में राहत मिलती है।
ध्यान के अभ्यास से दिमाग की वह अवस्था आती है, जो सोने से ठीक पहले होती है, इससे नींद गहरी और आरामदायक होती है।
6. ध्यान और मस्तिष्क का विकास
ध्यान योग मस्तिष्क के विभिन्न हिस्सों जैसे प्रोफ्रंटल कॉर्टेक्स और हिप्पोकैंपस को विकसित करता है, जो ध्यान, स्मरणशक्ति और निर्णय लेने की क्षमता को बढ़ाते हैं।
इससे स्मरण शक्ति, एकाग्रता, और सृजनात्मकता में वृद्धि होती है।
7. आत्म-नियंत्रण और संयम
ध्यान अभ्यास व्यक्ति को आत्म-नियंत्रण और संयम सिखाता है। इससे गलत आदतों पर नियंत्रण पाने और संयम बनाए रखने की क्षमता बढ़ती है।
ध्यान योग ध्यान को केंद्रित करना सिखाता है, जिससे जीवन में अनुशासन और समर्पण आता है।
8. चेतना का विकास और आध्यात्मिक लाभ
ध्यान योग से चेतना का विकास होता है, जिससे व्यक्ति जीवन के गहरे अर्थों को समझने लगता है। यह आध्यात्मिक जागरण और आत्म-चेतना को उन्नत करता है।
ध्यान के माध्यम से व्यक्ति ईश्वर या सृष्टि के साथ गहरे संबंध का अनुभव करता है, जो उसे आंतरिक संतोष और आनन्द की अनुभूति कराता है।
9. उत्तम जीवनशैली के लिए ध्यान और योग
ध्यान योग एक स्वस्थ जीवनशैली को अपनाने में मदद करता है। यह व्यक्ति को बेहतर आहार, नियमित व्यायाम, और स्वस्थ आदतों की ओर प्रेरित करता है।
इसके साथ ही, ध्यान योग व्यक्ति को मानसिक शांति और संतुलन प्रदान करता है, जिससे रिश्तों में सुधार होता है और सामाजिक जीवन बेहतर होता है।
10. ध्यान के प्रकार (Types of Meditation)
ध्यान के कई प्रकार होते हैं, जो अलग-अलग उद्देश्यों के लिए उपयोग किए जाते हैं:
विपश्यना ध्यान: यह ध्यान की एक प्राचीन तकनीक है, जिसमें व्यक्ति अपने विचारों और भावनाओं को बिना किसी निर्णय के देखता है।
मंत्र ध्यान: इसमें एक विशेष शब्द, ध्वनि या मंत्र को दोहराया जाता है, जिससे ध्यान की स्थिति में आसानी से पहुंचा जा सकता है।
कुंडलिनी ध्यान: यह ध्यान व्यक्ति की आंतरिक ऊर्जा (कुंडलिनी शक्ति) को जागृत करने के लिए किया जाता है, जिससे व्यक्ति आध्यात्मिक जागृति प्राप्त करता है।
त्राटक ध्यान: इस ध्यान में किसी वस्तु (जैसे मोमबत्ती की लौ) को ध्यान से देखा जाता है, जिससे एकाग्रता में सुधार होता है।
11. शारीरिक और मानसिक रोगों में ध्यान का उपचारात्मक उपयोग
ध्यान का उपयोग कई शारीरिक और मानसिक रोगों के उपचार में किया जा सकता है, जैसे:
अवसाद (Depression): ध्यान अवसाद के लक्षणों को कम करता है और सकारात्मक सोच को बढ़ावा देता है।
चिंता विकार (Anxiety): ध्यान चिंता की स्थिति को नियंत्रित करने में सहायक है और मानसिक शांति प्रदान करता है।
उच्च रक्तचाप: ध्यान से रक्तचाप में कमी आती है और हृदय संबंधी समस्याएँ कम होती हैं।
तनाव-प्रबंधन: ध्यान तनाव को प्रबंधित करने का एक प्रभावी तरीका है, जो मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है।