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शुक्रवार, 25 सितंबर 2020

अल्जाइमर रोग क्या है #अल्जाइमर रोग और #डिमेंशिया के बीच क्या अंतर है #Alzheimer's #Dementia

 *अल्जाइमर रोग क्या है जाने डॉक्टर मनीष शर्मा से* 

अल्जाइमर रोग एक तेजी से फैलने वाला रोग है, जो याददाश्त और अन्य महत्वपूर्ण मानसिक कार्यों को हानि पहुंचाता है।
यह डिमेंशिया (मनोभ्रंश) का सबसे आम कारण होता है जिससे हमारी बौद्धिक क्षमता बेहद कम हो जाती है। ये परिवर्तन हमारे दिन-प्रतिदिन के जीवन के लिए खराब साबित हो सकता है।

अल्जाइमर रोग में मस्तिष्क की कोशिकाएं खुद ही बनती और खत्म होने लगती हैं, जिससे याददाश्त और मानसिक कार्यों में लगातार गिरावट आती है।

Allopathy में अल्जाइमर रोग की दवाएं और प्रबंधन रणनीतियां अस्थायी रूप से इसके लक्षणों में सुधार कर सकती हैं। अतः एलोपैथिक में इसका कोई इलाज नहीं है, परंतु आयुर्वेद में इसका स्थाई इलाज है।

 *डिमेंशिया और अल्जाइमर रोग में अंतर*

डिमेंशिया और अल्जाइमर रोग एक नहीं हैं। डिमेंशिया एक समग्र शब्द है जो याददाश्त, दैनिक गतिविधियों में समस्याएं और संचार अक्षमताओं का वर्णन करने के लिए उपयोग किया जाता है। अल्जाइमर रोग सबसे सामान्य प्रकार का डिमेंशिया (मनोभ्रंश) है और यह समय के साथ याददाश्त, भाषा और सोच को प्रभावित करता है।

 *अल्जाइमर रोग के लक्षण*

 *1. शुरूआती लक्षण*
▪चीज़ों को खो देना और वापस ढूंढने में असमर्थता।
▪रोजमर्रा की जिंदगी को प्रभावित करने वाली याददाश्त की समस्याएं।
▪नियोजन या समस्या सुलझाने में मुश्किलें आना।
▪सामान्य दैनिक कार्यों को पूरा करने में अधिक समय लेना।
▪समय का ध्यान न रहना।
▪दूरी निर्धारित करने और रंगों में अंतर करने में परेशानी होना।
▪बातचीत करने में कठिनाई।
▪खराब अनुमान के कारण गलत फैसले लेना।
▪सामाजिक गतिविधियों से अलगाव।
▪मनोदशा व व्यक्तित्व में परिवर्तन और चिंता में बढ़ोतरी।

 *2. मध्यम लक्षण*
▪दोस्तों और परिवार के सदस्यों को पहचानने में समस्याएं।
▪भाषा की समस्याएं और पढ़ने, लिखने व् संख्याओं के साथ काम करने में कठिनाई।
▪विचारों को व्यवस्थित करने और सतर्क रूप से सोचने में कठिनाई।
▪नए कार्यों को सीखने या नए व अप्रत्याशित परिस्थितियों से निपटने में असमर्थता।
▪अनुचित क्रोध आना।
▪अवधारणात्मक समस्याएं, जैसे कुर्सी से उठने या टेबल की स्थापना करने में समस्याएँ, बातों या गतिविधिओं को दोहराना और कभी-कभी मांसपेशियों में झटके आना।
▪वहम, भ्रम, संदेह या पागलपन और चिड़चिड़ापन होना।
▪आवेग नियंत्रण की समस्याएं, जैसे अनुचित समय या जगहों पर खराब भाषा का उपयोग करना।
▪व्यवहार के लक्षणों की गड़बड़ी, जैसे कि बेचैनी, उत्तेजना, चिंता, रोना और भटकना।

 *3. गंभीर लक्षण*
▪मूत्राशय और आंत्र नियंत्रण की कमी।
▪वज़न घटना।
▪दौरे पड़ना।
▪त्वचा के संक्रमण।
▪कराहना, आहें भरना या घुरघुराना।
निगलने में कठिनाई।

 *अल्जाइमर रोग के कारण*

वैज्ञानिकों का मानना है कि ज्यादातर लोगों में, अल्जाइमर रोग आनुवांशिक, जीवनशैली और पर्यावरणीय कारकों के संयोजन से उत्पन्न होता है जो समय के साथ मस्तिष्क को प्रभावित करते हैं।

5% से भी कम बार, अल्जाइमर विशिष्ट आनुवंशिक परिवर्तनों के कारण होता है जो वास्तव में यह रोग को विकसित करने की गारंटी देता है।

हालांकि, अल्जाइमर रोग का कारण अभी तक पूरी तरह से निश्चित नहीं है लेकिन मस्तिष्क पर इसका असर स्पष्ट है। अल्जाइमर रोग मस्तिष्क की कोशिकाओं को नुक्सान पहुंचाता है या उन्हें मारता है। एक स्वस्थ मस्तिष्क की तुलना में, अल्जाइमर रोग से प्रभावित एक मस्तिष्क में बहुत कम कोशिकाएं होती हैं और जीवित कोशिकाओं के बीच बहुत कम संबंध होते हैं।

 *अल्जाइमर रोग के जोखिम कारक*

▪आयु - 85 वर्ष से अधिक आयु वाले लोगों को अल्जाइमर रोग होने का जोखिम अधिक होता है।
▪पारिवारिक इतिहास - परिवार में अन्य लोगों को अल्जाइमर रोग होने के कारण आपको भी यह होने का उच्च जोखिम होता है।
▪कम शैक्षिक और व्यावसायिक प्राप्ति।
▪पहले की सिर की चोट।
▪नींद के विकार (उदाहरण के लिए, स्लीप एपनिया)।

 *अल्जाइमर रोग से बचाव*

फिलहाल, अल्जाइमर रोग से बचने का कोई सिद्ध तरीका नहीं है लेकिन इस विषय में वैज्ञानिक खोज चल रही है। अभी तक यह माना जाता हैकि हृदय रोग के जोखिम को कम करने से अल्जाइमर रोग के जोखिम को कम किया जा सकता है।

हृदय रोग के जोखिम को बढ़ाने वाले कई कारक अल्जाइमर रोग और संवहनी मनोभ्रंश का खतरा भी बढ़ा सकते हैं। ऐसे कुछ महत्वपूर्ण कारक हैं -
▪हाई ब्लड प्रेशर
▪हाई कोलेस्ट्रॉल
▪अधिक मोटापा
▪डायबिटीज (शुगर की बीमारी)

*अल्जाइमर रोग का परीक्षण*

*1. स्वास्थ्य इतिहास की जाँच-*
आपके डॉक्टर आपका एक शारीरिक परीक्षा करेंगे और आपके अतीत और वर्तमान स्वास्थ्य के बारे में सवाल पूछेंगे।

*2. मानसिक परीक्षण-*

*3. सीटी स्कैन (CT scan)*

*4. एमआरआई (MRI)*

 *अल्जाइमर रोग से पैदा होने वाली परेशानियां*

अल्जाइमर रोग से याददश्त और भाषा से सम्बंधित समस्याएं हो सकती हैं। अल्जाइमर रोग से ग्रस्त व्यक्ति निम्न में सक्षम नहीं होता है -

▪दर्द को व्यक्त करने में समस्याएं (उदाहरण के लिए, दन्त चिकित्सा में होने वाला दर्द)।
▪अन्य बीमारी के लक्षणों को व्यक्त करने में समस्याएं।
▪निर्धारित उपचार योजना का पालन करने में समस्याएं।
▪दवा के साइड इफेक्ट्स को पहचानने और उनका वर्णन करने में समस्याएं।
▪जैसे-जैसे अल्जाइमर की बीमारी अपने अंतिम चरण में प्रगति करती है, मस्तिष्क के परिवर्तन शारीरिक कार्यों को प्रभावित करना शुरू करते हैं। जैसे निगलने, संतुलन और आंत्र व मूत्राशय नियंत्रण की समस्याएं। ये प्रभाव अतिरिक्त स्वास्थ्य समस्याओं को बढ़ा सकते हैं *जैसे -*

निमोनिया और अन्य संक्रमण - निगलने में कठिनाई के कारण अल्जाइमर से ग्रस्त लोग अक्सर अपने वायुमार्ग और फेफड़ों में भोजन या तरल पदार्थ ले जाते हैं जिससे निमोनिया हो सकता है।
मूत्राशय को खाली करने में अक्षम होने से मूत्र को निकालने और एकत्र करने के लिए एक ट्यूब की नियुक्ति की आवश्यकता हो सकती है जिससे मूत्र पथ के संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है, जो अधिक-गंभीर और जानलेवा भी हो सकते हैं।
▪अल्जाइमर से ग्रस्त लोग कमज़ोर हो जाते हैं और उन्हें गिरने का जोखिम बढ़ जाता है।
 

एक बार एक राजा ने गाव में रामकथा करवाई और कहा की सभी  ब्राह्मणो को रामकथा के लिए आमत्रित किया जय , राजा ने सबको रामकथा पढने के लिए  यथा स्थान पर बिठा दिया गया।

एक ब्राह्मण अंगुटा छाप था उसको पठना लिखना कुछ आता नही था , वो ब्राह्मण सबसे पीछे बैठ गया , और सोचा की जब पास वाला पन्ना पलटेगा तब मैं भी पलट दूंगा।

काफी देर देखा की पास बैठा व्यक्ति पन्ना नही पलट रहा है, उतने में राजा श्रद्धा-पूर्वक सबको नमन करते चक्कर लगाते-लगाते उस सज्जन के समीप आने लगे, तो उस ने एक ही रट लगादी
की "अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा "
"अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा "

उस सज्जन की ये बात सुनकर पास में बैठा व्यक्ति भी रट लगाने लग गया  ,
की "तेरी गति सो मेरी गति
तेरी गति सो मेरी गति ,"

उतने में तीसरा व्यक्ति बोला ,
" ये पोल कब तक चलेगी !
ये पोल कब तक चलेगी !

चोथा बोला
जब तक चलता है चलने दे ,
जब तक चलता है चलने दे ,
वे चारो अपने सिर निचे किये इस तरह की रट लगाये बैठे है
की,
1 "अब राजा पूछेगा तो क्या कहूँगा..
2 "तेरी गति सो मेरी गति..
3 "ये पोल कब तक चलेगी..
4 "जबतक चलता है चलने दे..

जब राजा ने उन  चारो के स्वर सुने , राजा ने पूछा की ये सब क्या गा रहे है, ऐसे प्रसंग तो रामायण में हम ने पहले कभी नही सुना है!!

उतने में , एक महात्मा उठे और बोले महाराज ये सब रामायण का ही प्रसंग बता रहे है ,
पहला व्यक्ति है ये बहुत विद्वान है ये , बात सुमन ने ( अयोध्याकाण्ड ) में कही , राम लक्ष्मण सीता जी को वन में छोड़ , घर लोटते है तब ये बात सुमन कहता है की
"अब राजा  पूछेंगे तो क्या कहूँगा ?
अब राजा  पूछेंगे तो क्या कहूँगा ?

फिर पूछा की ये दूसरा कहता है की तेरी गति सो मेरी गति , महात्मा बोले महाराज ये तो इनसे भी ज्यादा  विद्द्वान है ,( किष्किन्धाकाण्ड ) में जब हनुमान जी, राम लक्ष्मण जी को अपने दोनों कंधे पर बिठा कर सुग्रीव के पास गए तब ये बात राम जी ने कही थी की , सुग्रीव ! तेरी गति सो मेरी गति , तेरी पत्नी को बाली ने रख लिया और मेरी पत्नी का रावण ने हरण कर लिया..

राजा ने आदर से फिर पूछा , की महात्मा जी ! ये तीसरा बोल रहा है की ये पोल कब तक चलेगी , ये बात कभी किसी संत ने नही कही ? , बोले महाराज ये तो और भी ज्ञानी है , ( लंकाकाण्ड ) में अंगद जी ने रावण की भरी सभा में अपना पैर जमाया  , तब ये प्रसंग मेधनाथ ने अपने पिता रावन से किया की, पिता श्री ! ये पोल कब तक चलेगी , पहले एक वानर आया और वो हमारी लंका जला कर चला गया , और अब ये कहता है की मेरे पैर को कोई यहाँ से हटा दे तो भगवान श्री राम बिना युद्द किये वापिस   लौट जायेंगे।

फिर राजा बोले की ये चोथा बोल रहा है ? वो बोले  महाराज ये इतना बड़ा विद्वान है की कोई इनकी बराबरी कर ही नही सकता ,ये मंदोदरी की बात कर रहे है , मंदोदरी ने कई बार रावण से कहा की , स्वामी ! आप जिद्द छोड़, सीता जी को आदर सहित राम जी को सोप दीजिये अन्यथा अनर्थ हो जायगा ,
तब ये बात रावण ने मंदोदरी से कही
की ( जब तक चलता है चलने दे )

मेरे तो दोनों हाथ में लड्डू है ,अगर में राम के हाथो मारा गया तो मेरी मुक्ति हो जाएगी , इस अदम शरीर से भजन -वजन तो कुछ होता नही , और में युद्ध ज़ीत गया तो त्रिलोकी में भी मेरी जय जय कार हो जाएगी

राजा इन सब बातो से चकित रह गए बोले की आज हमे ऐसा अद्धबुत प्रसंग सूनने को मिला की आज तक हमने नही सुना , राजा इतने प्रसन्न  हुए की उस महात्मा से बोले की आप कहे वो दान देने को राजी हूँ ,
उस महात्मा ने उन अनपढ़ अंगुटा  छाप ब्रहामिन भक्तो को अनेको दान दक्षिणा दिलवा दी ,

इन सब बातो का एक ही सार है  की कोई अज्ञानी , कोई नास्तिक , कोई कैसा भी क्यों नही हो , रामायण , भागवत ,जैसे महान ग्रंथो को श्रद्धा पूर्वक छूने मात्र से ही सब संकटो से मुक्त हो जाते है ,
और भगवान का सच्चा प्रेमी हो जाये उन की तो बात ही क्या है , मत पूछिये की वे कितने धनी हो जाते है----!!

अल्जाइमर रोग क्या है #अल्जाइमर रोग और #डिमेंशिया के बीच क्या अंतर है #Alzheimer's #Dementia

बाल झड़ने के प्रमुख कारण इलाज

*◆बालों के झड़ने का  इलाज◆*   बाल झड़ने के प्रमुख कारण  इलाज बाल झड़ने का कारण कई शारीरिक, मानसिक और पर्यावरणीय कारकों का परिणाम हो सकता है...