सोमवार, 23 दिसंबर 2024

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 कपालभाति के लाभ Kapalbhati Pranayam Ke Labh



कपालभाति एक यौगिक श्वसन प्रक्रिया है, जिसे प्राणायाम का हिस्सा माना जाता है। यह "कपाल" (मस्तिष्क) और "भाति" (प्रकाश) शब्दों से बना है, जिसका अर्थ है मस्तिष्क को शुद्ध करना या प्रकाशवान करना। यह अभ्यास शरीर और मन को शुद्ध करने का एक तरीका है।


कपालभाति करने की विधि

  1. बैठने की स्थिति:

    • आरामदायक और सीधी स्थिति में बैठें, जैसे कि पद्मासन, सुखासन या वज्रासन।
    • रीढ़ की हड्डी सीधी और गर्दन तनी हुई हो।
  2. श्वास की प्रक्रिया:

    • सामान्य श्वास लें।
    • नाक के माध्यम से तेज़ी से सांस बाहर निकालें। पेट को अंदर की ओर खींचें।
    • श्वास लेना स्वाभाविक रूप से होगा।
    • इस प्रक्रिया को तेज़ गति से दोहराएं। शुरुआत में 20-30 बार करें और धीरे-धीरे 100-120 बार तक बढ़ाएं।
  3. समाप्ति:

    • अभ्यास के बाद कुछ देर सामान्य श्वास लें और ध्यान करें।

कपालभाति के लाभ

  1. शारीरिक लाभ:

    • फेफड़ों और श्वसन प्रणाली को मजबूत करता है।
    • पाचन तंत्र को सुधारता है और कब्ज, गैस, व अन्य पेट की समस्याओं को दूर करता है।
    • रक्त प्रवाह को बेहतर बनाता है और शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालता है।
    • वजन घटाने में सहायक है।
  2. मानसिक लाभ:

    • तनाव और चिंता को कम करता है।
    • मस्तिष्क को शुद्ध करता है और एकाग्रता बढ़ाता है।
    • आत्मविश्वास और मानसिक शांति प्रदान करता है।
  3. अन्य लाभ:

    • हॉर्मोनल असंतुलन को ठीक करता है।
    • मधुमेह रोगियों के लिए फायदेमंद।
    • त्वचा को चमकदार और स्वस्थ बनाता है।

कपालभाति के नुकसान (सावधानियाँ):

यदि गलत तरीके से किया जाए या किसी विशेष स्थिति में किया जाए, तो यह नुकसानदेह हो सकता है:

  1. उच्च रक्तचाप और हृदय रोगी:

    • तेज़ श्वास लेने की प्रक्रिया से रक्तचाप बढ़ सकता है।
  2. गर्भवती महिलाएँ:

    • गर्भावस्था के दौरान इसे न करें।
  3. मेडिकल स्थितियाँ:

    • पेट की सर्जरी, हर्निया, या अल्सर के रोगी इसे न करें।
    • मिर्गी और चक्कर आने की समस्या हो तो डॉक्टर की सलाह लें।
  4. थकावट और चक्कर:

    • शुरुआत में तेज़ गति से करने पर सिर चकरा सकता है।

महत्वपूर्ण टिप्स

  • इसे सुबह खाली पेट करें।
  • धीमी गति से शुरू करें और शरीर को आराम दें।
  • प्रशिक्षित योग शिक्षक की देखरेख में करें।
  • अभ्यास के बाद पानी न पीएं; 20-30 मिनट का अंतर रखें।

कपालभाति नियमित रूप से करने पर शरीर और मन दोनों पर सकारात्मक प्रभाव पड़ता है, लेकिन इसे सही विधि और सावधानी के साथ करना जरूरी है।

 

“कपालभाति” यौगिक श्वसन की एक तकनीक है, जिसका वर्णन पारंपरिक योग ग्रंथों में किया गया है | इसका अभ्यास श्वसन दर में वृद्धि के साथ किया जाता है, जिसमें सक्रिय (स्वैच्छिक) प्रश्वास (पेट की मांसपेशियों के सकुंचन द्वारा) तथा निष्क्रिय (अनैच्छिक) श्वास लेना (पेट की मांसपेशियों की विश्रांति) सम्मिलित होता है |

कपालभाति के अभ्यास के लिए अभ्यासी को पद्मासन, सिद्धासन, सुखासन आदि में अपने रीढ़ व सिर को सीधा रखकर बैठना होता है | आंखें बंद रखकर अभ्यासी की जागरुकता श्वसन क्रिया पर होनी चाहिए |

पारंपरिक योग ग्रंथों में कपालभाति का अभ्यास करने वाले लोगों का विशेष वर्णन मिलता है | घेरंड संहिता में 3 प्रकार के कपालभाति अभ्यास का वर्णन है |

वात क्रम
इस प्रक्रिया में बायीं नासिका से वायु अंदर ली जाती है और दायीं नासिका से बाहर की जाती है तथा पुनः दायीं नासिका से वायु अंदर ली जाती है व बायीं नासिका से बाहर की जाती है |

व्युत क्रम
व्युत क्रम कपालभाति का अभ्यास दोनों नासिका से पानी अंदर खींचकर तथा धीरे-धीरे मुंह से पानी का निष्कासन कर दिया जाता है |

भीत क्रम
भीत क्रम कपालभाति का अभ्यास मुंह से पानी लेकर दोनों नासिका से इसका निष्कासन कर किया जाता है | घेरंड संहिता के कपालभाति अभ्यास के कई लाभ हैं | शरीर लचीला व स्वस्थ बनता है तथा कफ विकार समाप्त हो जाते हैं, वह जो कपालभाति का अभ्यास करते हैं उनके पास वृद्धावस्था से संबंधित विकार नहीं आते | अन्य पारंपरिक योग ग्रंथ जैसे हठ योग प्रदीपिका में भी कपालभाति के यही लाभ वर्णित हैं | प्राचीन ग्रंथों में वर्णित इन लाभों को ध्यान में रखकर, आधुनिक उपकरणों की सहायता से कपालभाति पर वैज्ञानिक अनुसंधान की किए गये जिनके परिणाम इस प्रकार आये-

हृदय संबंधी प्रभाव
हम सभी जानते हैं कि हमारे हृदय के धड़कन की दर घटती-बढ़ती रहती है | जर��
[12/08, 5:56 AM] Kiran Ji: ऊर्जा की खपत
मोटापा भारत में आम समस्या है | मोटापा का मुख्य कारण खाद्य पदार्थों द्वारा उर्जा लेने तथा शारीरिक या मानसिक स्थितियों के माध्यम से उर्जा कम करने के बीच असंतुलन का पैदा होना है | उर्जा व्यय में एक बहुत महत्वपूर्ण कारक है, ऑक्सीजन जो उर्जा के धन में विशेष मदद करता है |

जितना हम ऑक्सीजन खपत करते हैं, उतनी ही ज्यादा उर्जा (भोजन द्वारा ली गई) का दहन होता है | कपालभाति किस तरह ऊर्जा की खपत में मदद करता है इसे जानने के लिए स्वस्थ कर्मियों पर एक प्रयोग किया गया |

मेडिसन साइंस मॉनिटर बेसिक रिसर्च, 2015, 21:161-171 की रिपोर्ट के अनुसार यह पाया गया कि कपालभाति के दौरान 30% ऑक्सीजन की खपत बढ़ गई है | यह निष्कर्ष निकला कि कपालभाति का अभ्यास ऊर्जा की खपत 42% बढ़ा सकता है, इसलिए यह मोटापा घटाने में लाभकारी है |

मानसिक स्वास्थ्य
स्वस्थ व सुखी जीवन जीने के लिए अच्छा मानसिक स्वास्थ्य आवश्यक है | एक व्यक्ति जिसके ध्यान की क्षमता एंव स्मृति अच्छी है, वह जीवन में ज्यादा सफल हो सकता है उन कर्मियों की तुलना में जिनका ध्यान व स्मृति कमजोर है | एक उपकरण जिसका उपयोग अवध अवधान को मापने में किया जाता है, उसकी सहायता से ध्यान, अवधान पर कपालभाति का प्रभाव देखने के लिए एक अध्ययन किया गया |

‘इवोक्ड पोटेंशियल’ ध्यान मापने के लिए उपयोग में लिए जाने वाले उपकरणों में से एक है |

इस उपकरण में प्रतिभागी को कुछ विशेष ध्वनि पर ध्यान करने को कहा जाता है तथा उस ध्यान के कार्य के दौरान मस्तिष्क क्षेत्रों की सक्रियता को देखा जाता है | इस परीक्षण के दौरान जानकारी निकाली जाती है कि (1) तंत्रिका कोशिकाओं की दक्षता तथा (2) ध्यान कार्य के दौरान उपयोग में आने वाली तंत्रिका कोशिकाओं की मात्रा का स्वरूप क्या है | जर्नल ऑफ अल्टरनेटिव एंड कॉम्प्लीमेंटस मेडिसन, 2009, 15:281:285 के अनुसार यह पता चला कि जो कपालभाति का अभ्यास करते हैं, उनकी--

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